न्यूज़ डेस्क : केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने के बाद अब कारगिल और लद्दाख की पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करने की पहल की है। इसके तहत 1 जुलाई को कारगिल और लद्दाख के नेताओं और समाजसेवियों को बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है।
बता दें कि कश्मीर की मौजूदा स्थिति और भविष्य को लेकर केंद्र सरकार यह पहल कर रही है। 24 जून को हुई सर्वदलीय बैठक के संबंध में पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा था कि दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी को खत्म करने के लिए यह बैठक हुई। बैठक के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत एक मेज पर बैठने और विचारों का आदान-प्रदान करने की क्षमता है।
सर्वदलीय बैठक में 8 दलों के नेता हुए थे शामिल
24 जून की बैठक के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से अपील की है कि लोगों को, खासकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी अपेक्षाएं पूरी हों। सर्वदलीय बैठक में आठ दलों के 14 नेता शामिल हुए थे।
इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद मौजूद थे।
बैठक में आजाद ने रखी थीं ये मांगें
सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि सरकार के सामने उन्होंने कुछ मांगें रखी हैं। जैसे कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिले, तुरंत चुनाव कराने और कश्मीरी पंडितों पर ध्यान देने की अपील भी इसमें शामिल है। साथ ही अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म होने के बाद से हिरासत में लिए गए नेताओं को छोड़ने का आग्रह भी उन्होंने किया। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में युवाओं को रोजगार और जमीन की गारंटी देने की भी सरकार से मांग की है।
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