न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। कोरोना वायरस सबसे फैला कहां फैला या इसकी उत्पति कैसे हुई? इस लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञों का ऐसा भी मानना है यह खतरनाक वायरस चीन के वुहान सिटी में सबसे पहले फैला था। हालांकि, वायरस के स्त्रोत को लेकर रिसर्च जारी है। इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने कई मरीजों का डेटा मिटा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी फैलने के शुरुआती दिनों में इस संक्रमण से ग्रसित होने वाले कई लोगों के टेस्ट रिपोर्ट संबंधित डेटा को चीन ने मिटा दिया है ताकि वायरस फैलने के स्त्रोत का पता ना लगाया जा सके।
इस वैज्ञानिक रिपोर्ट को लिखने वाले ऑथर का कहना है कि वुहान में इस वायरस से सबसे शुरुआत में संक्रमित होने वाले लोगों की रिपोर्ट इस वायरस के स्त्रोत के बारे में काफी अहम जानकारियां दे सकती थीं। बताया जा रहा है कि इस अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस को कोरोना वायरस के विकास पर नजर रखने के लिए बनाया गया था। इन फाइलों से कोरोना वायरस के उत्पत्ति को लेकर महत्वपूर्ण सुराग हाथ लग सकता था। इससे यह भी पता चल सकता था कि दिसंबर 2019 में वुहान के सी फूड मार्केट में प्रसार से कितना पहले से यह महामारी चीन में फैल रही थी।
अमेरिकी प्रोफेसर Jesse Bloom का कहना है कि उन्होंने डिलीट किये गये कुछ डेटाबेस गूगल क्लाउड से दोबारा बरामद कर लिये हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने कोरोना वायरस फैलने की जब आधिकारिक जानकारी दी थी उससे पहले ही इस वायरस का प्रसार हो चुका था। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा को मिटाने का कोई वैज्ञानिक आधार नजर नहीं आता..ऐसे में यह काफी हद तक संभव है कि कोरोना वायरस के स्त्रोत का पता ना चल सके इसीलिए इस डेटा को मिटाया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शुरुआती नमूनों को नष्ट किया गया। बुधवार को नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हेल्थ ने इस बात की पुष्टि की थी कि चीन में वायरस के मिलने के कुछ शुरुआती नमूनों को नष्ट किया गया था। इन नमूनों को चीन के खोजखर्ताओं के कहने पर सुरक्षित रखा गया था। बाद में इन खोजकर्ताओं ने कुछ डेटा को मिटा देने के लिए कहा था।
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