नई दिल्ली: कहते हैं रावण के दस सिर थे. क्या सचमुच यह सही है? कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे. कुछ विद्वानों अनुसार रावण छह दर्शन और चारों वेद का ज्ञाता था इसीलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था. दसकंठी कहे जाने के कारण प्रचलन में उसके दस सिर मान लिए गए. जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं. उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था. 30 सितंबर को भारत में दशहरा मनाया जाएगा. इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. इसी वजह से इस दिन दहशरे के रूप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं रावण के बारे में ऐसी ही कुछ बातें तो बहुत कम लोग जानते हैं.
ग्रह नक्षत्रों को अपने हिसाब से चलाता था रावण
मेघनाथ के जन्म से पहले रावण ने ग्रह नक्षत्रों को अपने हिसाब से सजा लिया था, जिससे उसका होना वाला पुत्र अमर हो जाए. लेकिन आखिरी वक़्त में शनि ने अपनी चाल बदल ली थी. रावण इतना शक्तिशाली था कि उसने शनी को अपने पास बंदी बना लिया था.
सीता रावण की बेटी थी
रामायण कई देशों में ग्रंथ की तरह अपनाई गई है. थाइलैंड में जो रामायण है उसके अनुसार सीता रावण की बेटी थी, जिसे एक भविष्यवाणी के बाद रावण ने ज़मीन में दफ़ना दिया था. भविष्यवाणी में कहा गया था कि ‘यही लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी’. बाद में देवी सीता जनक को मिलीं. यही कारण था कि रावण ने कभी भी देवी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया.
वेद और संस्कृत का ज्ञाता
रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था. वो साम वेद में निपुण था. उसने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की. साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था. इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी. पद पथ एक तरीका है वेदों को पढ़ने का.
संगीत का भी ज्ञान
रावण को संगीत का भी शौक़ था. रूद्र वीणा बजाने में रावण को हराना लगभग नामुमकिन था. रावण जब भी परेशान होता वो रूद्र वीणा बजाता था. इतना ही नहीं रावण ने वायलन भी बनाया था जिसे रावणहथा कहते थे. आज भी राजस्थान में इसे बजाया जाता है.
News Source: khabar.ndtv.com
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