चालू वित्त वर्ष 2021-22 की जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में 12 प्रतिशत की गिरावट की संभावना : रिपोर्ट
न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर को काबू में करने के लिए राज्यों के अप्रैल और मई में लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से चालू वित्त वर्ष 2021-22 की जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में 12 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। स्विट्जरलैंड की ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में यह कहा।
पिछले साल, केवल चार घंटे के नोटिस पर केंद्र के स्तर पर लगाए गए ढाई महीने के देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ था और वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें 7.3 प्रतिशत का संकुचन हुआ। पहली तिमाही में इसका काफी प्रतिकूल असर रहा और जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई। दूसरी तिमाही में स्थिति थोड़ी सुधरी और अर्थव्यवस्था में 17.5 प्रतिशत का संकुचन हुआ।
हालांकि, दूसरी छमाही में तीव्र गति से पुनरुद्धार हुआ। वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही। वहीं चौथी तिमाही में यह बढ़कर 1.6 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे कुल मिलाकर गिरावट 2020-21 में 7.3 प्रतिशत पर सीमित रही।
स्विस ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 12 प्रतिशत की गिरावट से इस बार अर्थव्यवस्था में वी (गिरावट के बाद तीव्र गति से वृद्धि) आकार में वृद्धि मुश्किल होगी, जैसा कि पिछली बार राष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ हटने के बाद देखा गया था।
कंपनी ने कहा कि इसका कारण इस बार उपभोक्ता धारण कमजोर बनी हुई है क्योंकि लोग पिछले साल के मुकाबले महामारी की दूसरी लहर के असर को देखकर काफी चिंतित हैं।
स्विस ब्रोकरेज कंपनी की अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने यूबीएस इंडिया के आंतरिक आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि जो भी संकेतक है, वह जून 2021 को समाप्त तिमाही में अर्थव्यवस्था में 12 प्रतिशत की गिरावट का संकेत देते हैं।
यह स्थिति तब है, जब विभिन्न राज्यों में मई के अंतिम सप्ताह से स्थानीय स्तर पर लगी पाबंदियों में ढील से 13 जून को समाप्त सप्ताह में संकेतक साप्ताहिक आधार पर 3 प्रतिशत बेहतर होकर 88.7 पर रहा।
हालांकि ब्रोकरेज कंपनी ने जून से मासिक आधार पर आर्थिक गतिविधियां बेहतर रहने की उम्मीद जताई है। लेकिन अर्थव्यवस्था में गति संभवत: दूसरी छमाही से ही देखने को मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 2020 में गिरावट के बाद तीव्र गति से वृद्धि देखने को मिली थी, लेकिन इस बार उस तरह की संभावना नहीं है। इस बार अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे पुनरुद्धार होगा क्योंकि महामारी से जुड़ी अनिश्चतताओं के कारण उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर बनी हुई है।
अर्थशास्त्री के अनुसार टीकाकरण में गति आने के साथ उपभोक्ता तथा व्यापार भरोसा बढ़ने की संभावना है। इससे आर्थिक पुनरूद्धार में दूसरी छमाही से गति आने की उम्मीद है।
खनिज तेल में हाइड्रोजन को शामिल करने का प्रस्ताव
पेट्रोलियम मंत्रालय ने ‘खनिज तेलों’ की परिभाषा के भीतर हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को शामिल करने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। गौरतलब है कि खनिज तेलों की खोज और उत्पादन के लिए सरकार लाइसेंस देती है।
मंत्रालय ने कहा कि तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक 2021 के जरिए मौजूदा कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि अगली पीढ़ी के स्वच्छ ईंधन की खोज, विकास और उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही नियामक चुनौतियों और जोखिमों को कम किया जा सके। मंत्रालय ने इसके लिए हितधारकों से सुझाव मांगे हैं।
प्रस्तावित विधेयक के तहत हाइड्रोजन जैसे ऊर्जा के आधुनिक और स्वच्छ स्रोतों को अपने दायरे में शामिल करके खनिज तेलों की एक नई परिभाषा तैयार करने की बात भी कही गई है। परंपरागत रूप में खनिज तेल का अर्थ प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम तेल सहित विभिन्न रूपों में हाइड्रोकार्बन से है।
Comments are closed.