न्यूज़ डेस्क : कोविड-19 संक्रमण के मामले घटने के साथ देशभर में लॉकडाउन खत्म करने की भी शुरुआत हो चुकी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने दावा किया है कि चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाए जाने से असंगठित क्षेत्र में करीब 1.7 करोड़ रोजगार वापस आ सकते हैं। यह आंकड़ा बीती मई में लॉकडाउन से संगठित व गैर संगठित दोनों क्षेत्र में बेरोजगार हुए 2.5 करोड़ लोगों का करीब 66 फीसदी होगा।
सीएमआईई ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने से असंगठित क्षेत्र के रोजगार में तेजी से सुधार आएगा। जनवरी 2021 के बाद से इस क्षेत्र में गैर कृषि रोजगार की संख्या में 3.68 करोड़ की कमी आई है। इनमें से 2.31 करोड़ दिहाड़ी मजदूर, 85 लाख वेतनभोगी और शेष छोटे उद्यमी हैं।
सिर्फ मई में ही 1.7 करोड़ दिहाड़ी मजदूर, हॉकर व अन्य छोटे उद्यमियों ने रोजगार गंवाया, जिसका सीधा कारण लॉकडाउन था। पूरी तरह अनलॉक होने के बाद इनके दोबारा काम पर लौटने की पूरी उम्मीद है। अगर रोजगार की वृद्धि दर 2019-20 के स्तर पर पहुंच जाती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आएगा।
जनवरी के बाद से लगातार घटा रोजगार
इस साल जनवरी में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी से रोजगार के मोर्चे पर भी बढ़त दिखी। इस दौरान कुल रोजगार की संख्या 40.07 करोड़ पहुंच गई, लेकिन इसके बाद से ही गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।
केवल असंगठित क्षेत्र में ही फरवरी में 25 लाख, मार्च में 1 लाख, अप्रैल में 74 लाख और मई में 1.53 करोड़ रोजगार कम हुए। इस तरह चार महीनों में रोजगार की संख्या में 2.53 करोड़ की गिरावट आई। इस वर्ष के शुरुआती पांच महीनों में ही कुल रोजगार के मुकाबले 6.3 फीसदी गिरावट आ चुकी है।
जून में भी गिरावट का सिलसिला जारी
रोजगार के मोर्चे पर जून में भी फिलहाल राहत नहीं मिली है। 6 जून को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर बढ़कर 13 फीसदी पहुंच गई, जो मई में 11.9 फीसदी थी। मई में रोजगार वृ़िद्ध दर अप्रैल के 36.8 फीसदी से गिरकर 35.3 फीसदी पर आ गई थी। इस दौरान डेढ़ करोड़ रोजगार खत्म हो गए। जून में भी रोजगार वृद्धि दर घटी, जो 6 जून को 33.9 फीसदी पर आ गई।
सितंबर तक 75 फीसदी टीकाकरण से आर्थिक सुधार में तेजी : डीईए
आर्थिक मामलात विभाग (डीईए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि सितंबर तक 75 फीसदी जनसंख्या का टीकाकरण कर लिया जाए, तो आर्थिक सुधारों में तेजी लाई जा सकती है। बजट में जारी घोषणाओं को सही तरीके से लागू कर निवेश और खपत बढ़ा सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था की वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाएगी।
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