योगी , मोदी और अमित शाह में सुलझा मामला, एक समय संघ को योगी बोल दिये थे इससे अच्छा इस्तीफा ले लो : सूत्र

न्यूज़ डेस्क : गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली आकर गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात में उन सारे जटिल मुद्दों पर बात की जिन्हें लेकर पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश को लेकर भाजपा में घमासान मचा हुआ था।

 

 

 

 

यह जानकारी देने वाले सूत्रों के मुताबिक इसके पहले योगी सर संघचालक संघ के अपने करीबी शीर्ष पदाधिकारियों से बात करके अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके थे और इसीलिए उन्होंने संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की लखनऊ यात्रा के दौरान उनसे भेंट नहीं की जबकि होसबोले तीन दिन तक लखनऊ में रहे और उन्होंने मुख्यमंत्री को मिलने का संदेश भिजवाया लेकिन योगी तब मिर्जापुर और गोरखपुर की यात्रा पर थे।

 

 

 

सूत्रों के अनुसार योगी पर अरविंद शर्मा को विधान परिषद सदस्य बनाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से उप मुख्यमंत्री बनाकर गृह नियुक्ति एवं गोपन जैसे अति महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विभाग देने का दबाव बढ़ रहा था और योगी उसे टालते जा रहे थे। लेकिन जब भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष और प्रभारी राधा मोहन सिंह लखनऊ गए और उन्होंने विधायकों मंत्रियों से बात करके दबाव बढ़ाया और योगी को बदलने तक की चर्चाएं चल पड़ीं जिनको राधामोहन सिंह की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित से की गई मुलाकातों से और बल मिला तब योगी ने सीधे सर संघचालक से संपर्क किया और उनसे अपनी स्थिति स्पष्ट की।

 

 

 

योगी के एक बेहद करीबी सूत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि पिछले साढ़े चार साल से मेरी सरकार ने केंद्र के हर निर्देश का पालन किया। यहां तक कि राज्यसभा, विधान परिषद चुनावों के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की सूची केंद्रीय नेतृत्व बिना उनकी सलाह के तैयार करके भेजता रहा है और वह उसे मानते रहे हैं। राज्य के अधिकारियों को भी सीधे केंद्र से निर्देश मिलते रहे और उन्होंने उसे भी चलने दिया। संगठन के नाम पर सरकारी कामकाज और नियुक्तियों में दखल दिया जाता रहा। और अब असफलता का ठीकरा उनके सिर फोड़ा जा रहा है।

 

 

 

योगी ने भागवत से यह भी कहा कि अगर किसी मुख्यमंत्री से गृह गोपन और नियुक्ति विभाग भी ले लिए जाएं तो फिर उस मुख्यमंत्री का रहना न रहना बराबर है। इससे तो अच्छा है संघ प्रमुख अगर उन्हें निर्देश देते हैं तो वो अपना इस्तीफा ही दे देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि संघ प्रमुख के आशीर्वाद से ही वह मुख्यमंत्री बनकर अपने दायित्व का पूरी निष्ठा से पालन कर रहे हैं।

 

 

 

सूत्र के अनुसार योगी आदित्यनाथ की इस बात को संघ प्रमुख ने बेहद गंभीरता से लिया। वैसे भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद योगी आदित्यनाथ को भाजपा नेतृत्व की इच्छा से नहीं संघ नेतृत्व की इच्छा से मिला था। क्योंकि संघ योगी को मोदी के बाद भाजपा के भावी नेता के रूप में विकसित करने की दूरगामी योजना पर काम कर रहा है।

 

 

बताया जाता है कि इसके बाद दिल्ली में संघ के सभी प्रकल्पों और अनुषांगिक संगठनों के प्रभारी और अन्य शीर्ष पदाधिकारियों की तीन दिवसीय बैठक में एक दिन उत्तरप्रदेश पर चर्चा हुई जिसमें सर कार्यवाहर दत्तात्रेय होसबोले और भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष की रिपोर्ट पर विचार हुआ। उसके बाद संघ की सर्वसम्मति से राय बनी कि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने रहेंगे। लेकिन उन्हें अपनी इस जिद से पीछे हटना होगा कि वह अरविंद शर्मा को ज्यादा से ज्यादा राज्य मंत्री बनाएंगे।

 

 

 

उन्हें अरविंद शर्मा को कैबिनेट मंत्री बनाना चाहिए और जहां तक मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार की बात है तो भाजपा नेतृत्व को मुख्यमंत्री को विश्वास में लेकर आपस में बातचीत करके उस पर निर्णय लेना चाहिए और मंत्रियों के विभागों के मामले में भी मुख्यमंत्री को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह संघ ने एक तरह से बीच का रास्ता निकाला और केंद्रीय नेतृत्व तथा योगी दोनों को ही अपने अपने रुख से कुछ पीछे हटने की सलाह दी।

 

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