अमेरिकी नेवी के अधिकारियों ने प्रशांत महासागर में देखा यूएफओ, खुफिया रिपोर्ट हुई लीक

न्यूज़ डेस्क : दुनियाभर में कई जगह पर एलियंस और उनके यान देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। आज से कुछ दो साल पहले भी अमेरिकी नेवी के अधिकारियों ने प्रशांत महासागर के दौरे पर आसमान में एक साथ 14 (अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) यूएफओ को देखने का दावा किया था। हाल ही में इसी घटना के एक वीडियो को फिल्म निर्माता जेरेमी कोरबेल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया और कहा कि उन्हें यह वीडियो एक अज्ञात स्रोत से मिला। इस बीच अमेरिका के खुफिया सरकारी अधिकारियों द्वारा यूएफओ और एलियंस को लेकर की गई समीक्षा रिपोर्ट लीक कर दी गई, जिसमें अहम बातें कही गईं हैं। दरअसल, इस रिपोर्ट में पिछले 20 सालों में अमेरिकी नौसेना द्वारा आसमान में देखी गई अज्ञात वस्तुओं की 120 से अधिक घटनाओं का जिक्र है।

 

 

 

इन अज्ञात वस्तुओं को यूएफओ समझा जा रहा है। एक पत्र के अनुसार, रिपोर्ट में इस बात का समर्थन नहीं किया गया है कि आसमान में देखी गईं अजीब वस्तुएं एलियंस के यान हैं। हालांकि, रिपोर्ट में इन अजीब सी चीजों के एलियन स्पेसक्राफ्ट न होने की बात से भी इनकार नहीं गया है। इसमें कहा गया है कि यह वस्तुएं चीनी या रूसी हाइपरसोनिक तकनीक का सबूत हो सकती हैं, जिसका अर्थ है कि इन देशों ने हथियारों के विकास में अमेरिका को बहुत पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 20 सालों में यूएफओ को ऐसे पैटर्न में चलते हुए देखा गया, जिनकी व्याख्या करना मुश्किल है। इसमें उनका त्वरण, दिशा बदलने की क्षमता और तेजी से पानी के अंदर जाने की क्षमता शामिल है।

 

 

 

 

वरिष्ठ अधिकारियों ने एक समाचार पत्र को यूएफओ को लेकर सामने आई इस समीक्षा रिपोर्ट के हवाले से बताया कि नौसेनिकों द्वारा देखी गई अज्ञात चीजें असल में हाइपरसोनिक हथियार, विमान और मिसाइल हो सकते हैं, जो लगभग चार हजार मील प्रति घंटे की तुलना में तेजी से वायुमंडलीय गति तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में उन्हें रोकना लगभग असंभव हो जाता है। समाचार पत्र के गुरुवार के अंक में कहा गया कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि हाल के वर्षों में नौसेना के एविएटर्स द्वारा देखी गई अज्ञात हवाई घटनाएं विदेशी अंतरिक्ष यान थीं, लेकिन एक बहुप्रतीक्षित सरकारी रिपोर्ट में यह दृश्य अस्पष्टीकृत हैं।

 

 

 

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पिछले दो दशकों में दर्ज की गई अधिकांश घटनाएं किसी भी अमेरिकी सेना या अन्य उन्नत अमेरिकी सरकार की तकनीक से उत्पन्न नहीं हुईं। समाचार पत्र में कहा गया है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि प्रतिद्वंद्वी शक्ति की प्रायोगिक तकनीक कम से कम कुछ हवाई घटनाओं के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

 

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