ऐसे कोरोना मरीजों के शरीर में जीवन भर रहती है इम्युनिटी, पूरे जीवन मिलती है सुरक्षा : रिसर्च

न्यूज़ डेस्क : कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज की प्रभाविकता और इसकी मियाद को लेकर काफी समय से चर्चा होती रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सामान्य तौर पर कोविड से ठीक होने वाले लोगों के शरीर में बनी एंटीबॉडीज तीन से चार महीने में स्वत: नष्ट हो जाती हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने हालिया अध्ययन में एंटीबॉडीज की समयसीमा को लेकर बड़ा खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि कुछ लोगों के शरीर में सक्रमण के बाद बनी एंटीबॉडीज ता-उम्र प्रभावी रह सकती हैं जो उन्हें कोरोना से स्थायी सुरक्षा प्रदान करती हैं।

 

 

 

एंटीबॉडी-उत्पादक प्रतिरक्षा कोशिकाएं

अमेरिका के सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में बनीं एंटीबॉडीज को लेकर अध्ययन किया। इस अध्ययन के आधार पर अमेरिकी शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड के हल्के लक्षणों से ठीक होने वाले लोगों के शरीर में एंटीबॉडी-उत्पादक प्रतिरक्षा कोशिकाएं विकसित हो जाती हैं। यह कोशिकाएं व्यक्ति को पूरे जीवन वायरस से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकती हैं।

 

 

 

पूरे जीवन मिलती है वायरस से सुरक्षा

अध्ययन से जुड़े प्रोफेसर अली एलेबेडी बताते हैं- ‘कोरोना के पहली बार लक्षण दिखने के 11 महीने बाद तक लोगों में हमने एंटीबॉडी-उत्पादक प्रतिरक्षा कोशिकाएं देखी हैं। ये कोशिकाएं सक्रिय रहते हुए पूरे जीवन एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकती हैं। इसे लॉन्ग-लास्टिंग इम्यूनिटी के उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। 77 लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों को इस बारे में पता चला  है।’

 

 

अध्ययन में क्या पता चला?

वैज्ञानिक बताते हैं- किसी वायरल संक्रमण के दौरान एंटीबॉडी-उत्पादक प्रतिरक्षा कोशिकाएं तेजी से गुणा करके रक्त में फैलती हैं, जिससे उस समय एंटीबॉडी का स्तर काफी ज्यादा हो जाता है। हालांकि जैसे ही संक्रमण ठीक होता है इसमें से अधिकांश कोशिकाएं मर जाती हैं जिससे रक्त में एंटीबॉडी का स्तर गिर जाता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि इस दौरान थोड़ी सी मात्रा में एंटीबॉडी-उत्पादक कोशिकाएं (लॉंग लिब्ड प्लाजमा सेल्स) बोन मैरो में जाकर स्थिर हो जाती हैं। यहीं से ही यह कोशिकाएं रक्तप्रवाह में एंटीबॉडीज को पहुंचाती रहती हैं। यह प्रक्रिया ता-उम्र जारी रहती है।

 

 

 

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए जिन 77 लोगों को शामिल किया था उनमें से अधिकांश में कोविड-19 के हल्के लक्षणों की शिकायत थी। इनमें से केवल 6 लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। एलेबेडी और उनके सहयोगी कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों के रक्त में एंटीबॉडी को विभिन्न स्तर को जांचने के लिए शोध कर रहे हैं। 

 

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