न्यूज़ डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) का राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) के साथ विलय को लेकर दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि विभिन्न शर्तों के साथ इस पर विचार किया जा सकता है बशर्ते कि इस संबंध में संबंधित राज्य सरकार द्वारा ही प्रस्ताव भेजा गया हो। एससीबी और डीसीसीबी के लिए एक अप्रैल 2021 से बैंकिंग नियमन (संशोधन) कानून 2020 को अधिसूचित कर दिया गया है। इन बैंकों के विलय को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मंजूरी दी जानी जरूरी है।
इस शर्त पर विलय प्रस्ताव परविचार करेगा आरबीआई
रिजर्व बैंक ने इस संबंध में दिशानिर्देशों को तब जारी किया जब कुछ राज्य सरकारों ने डीसीसीबी का एससीबी के साथ विलय को लेकर प्रस्ताव किए हैं। दिशानिर्देशों के मुताबिक रिजर्व बैंक इस संबंध में विलय प्रस्ताव पर तभी विचार करेगा जब राज्य की सरकार राज्य के एक अथवा एक से अधिक जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को राज्य सहकारी बैंक में विलय के लिए प्रस्ताव भेजेगी। यह प्रस्ताव कानूनी ढांचे के व्यापक अध्ययन के बाद भेजा जाना चाहिए।
इन बातों का भी रखना होगा ध्यान
रिजर्व बैंक के मुताबिक इसके अलावा विलय के बाद बैंक में जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त पूंजी डाले जाने को लेकर रणनीति, आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय समर्थन का आश्वासन, मुनाफे को लेकर स्पष्ट व्यावसायिक रूपरेखा और बैंक के संचालन मॉडल का प्रस्ताव सामने आना चाहिए। सहकारी बैंकों के आपस में एकीकरण की योजना को शेयरधारकों के जरूरी बहुमत से मंजूरी प्राप्त होनी चाहिए। इसके साथ ही नाबार्ड को राज्य सरकार के प्रस्ताव का परीक्षण करना चाहिए और उसकी आगे सिफारिश करनी होगी।
दो चरणों में होगा प्रस्ताव को मंजूरी देने का काम
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि, ‘डीसीसीबी का एससीबी के साथ एकीकरण के प्रस्ताव पर रिजर्व बैंक द्वारा नाबार्ड के साथ विचार विमर्श के साथ जांच परख की जाएगी और प्रस्ताव को मंजूरी देने का काम द्विस्तरीय प्रक्रिया होगी।’
पहले स्तर पर शर्तों को पूरा करने के बाद ‘सैद्धांतिक मंजूरी’ दी जाएगी। इसके बाद सभी पक्षों की ओर से विलय अथवा एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पहले चरण को पूरा करने के बाद अनुपालन रिपोर्ट के साथ नाबार्ड और आरबीआई के पास अंतिम मंजूरी के लिए पहुंचना होगा।
क्या पड़ेगा ग्राहकों पर असर?
इसपर विशेषज्ञों का कहना है कि कई बैंक ग्राहकों का पैसा लेकर डूब जाते हैं। पहले भी ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। इससे ग्राहकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखने के लिए केंद्रीय बैंक ऐसे कदम उठा रहा है।
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