क्या किसानों के गुस्से में कमी लाएगा मोदी सरकार का डीएपी पर सब्सिडी दोगुनी करने का फैसला

न्यूज़ डेस्क : केंद्र की मोदी सरकार ने देश के अन्नदाताओं को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने डीएपी पर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी में दोगुने से इजाफा करने का फैसला किया है। अब किसानों को प्रति बैग 500 रुपये के स्थान पर 1200 रुपये की सब्सिडी मिला करेगी। 

 

 

 

इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। बैठक में उन्हें खाद कीमतों पर एक प्रस्तुति के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गई।

 

 

पीएमओ ने कहा, ‘डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से 140 फीसदी बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति बैग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।’ बयान में कहा गया कि प्रति बोरी सब्सिडी की राशि आज तक कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है।’

 

 

केंद्र सरकार उठाएगी मूल्य वृद्धि का पूरा अतिभार 

बयान में कहा गया कि इस प्रकार डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इसे 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर ही बेचे जाने का निर्णय लिया गया है। पीएमओ ने बताया कि इस मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला किया है।

 

 

 

उल्लेखनीय है कि पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1700 रुपये प्रति बोरी थी। इसमें केंद्र सरकार की ओर से 500 रुपये प्रति बैग की दर से सब्सिडी दी जा रही थी। इसलिए कंपनियों से किसानों 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से डीएपी खाद खरीद रहे थे।

 

 

किसानों के कल्याण के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मोदी

बैठक में मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेंगे कि किसानों को मूल्य वृद्धि का दुष्प्रभाव न भुगतना पड़े। केंद्र सरकार ने इस फैसले को ऐतिहासिक व किसान हितैषी करार दिया है।

 

बयान के मुताबिक केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी पर करीब 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है। पीएमओ ने कहा, ‘डीएपी उर्वरक में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी।’

 

 

भाजपा का डीएनए ही किसान विरोधी: सुरजेवाला

दूसरी ओर, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने डीएपी खाद की 50 किलोग्राम की बोरी पर 700 रुपये और कुछ अन्य उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि कर दी है। इससे किसानों पर सालाना 20 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और यह देश के अन्नदाताओं को गुलाम बनाने की साजिश है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि इन बढ़ी हुई कीमतों को वापस लिया जाए।

 

 

सुरजेवाला ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि देश के 62 करोड़ किसानों-मजदूरों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुलाम बनाने की साजिश कर रहे हैं। पिछले करीब साढ़े छह साल में मोदी सरकार ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज की कीमत बढ़ाकर किसान पर पहले ही 15,000 रुपया प्रति हेक्टेयर सालाना का बोझ डाल रखा है। अब ऐसा फैसला लेना इस बात को साबित कर देता है कि भाजपा का डीएनए ही किसान विरोधी है।’

 

 

 

क्या किसानों के गुस्से में कमी लाएगा मोदी सरकार का ये फैसला

बड़ा सवाल यही है कि क्या मोदी सरकार का ये फैसला किसानों के मन में भरी नाराजगी को दूर या कुछ कम कर पाएगा। केंद्र को उम्मीद जरूर है कि इस फैसले का सकारात्मक असर दिखेगा। लेकिन, असल में ऐसा शायद ही हो पाए। कारण ये कि भले ही सब्सिडी बढ़ाई गई है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि किसानों को पहले से कम पैसा चुकाना पड़ेगा।

 

 

उन्हें अब भी उतनी ही जेब ढीली करनी होगी जितनी पहले करते थे। ऐसा इसलिए कि सब्सिडी के साथ डीएपी उर्वरक के दाम भी बढ़े हैं। ऊपर से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और किसान नेताओं का रुख देखकर भी ऐसा नहीं लगता कि इस तरह के फैसले से वह वापस हटने वाले हैं। ऐसे में इसके बहुत बड़े असर के आसार तो नहीं लगते

 

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