कोरोना : 18 साल से ऊपर के युवाओं के टीकाकरण में आयेगी जुलाई के दूसरे सप्ताह से रफ़्तार

न्यूज़ डेस्क : देश में शुरू किए गए 18 साल से ऊपर के युवाओं के टीकाकरण के बारे में कोरोना से लड़ने वाली राष्ट्रीय टीम के सदस्य डॉ. वीके पॉल कोई बात नहीं करना चाहते। वे केवल इतना कहते हैं कि देश में संक्रमण है और कोरोना से लड़ रहे हैं। मेहनत कर रहे हैं। उधर, डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है कि देश में टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है। जुलाई के दूसरे सप्ताह से इसमें तेजी आ जाएगी। सरकार इस दिशा में काम कर रही है। वहीं सीएसआईआर से जुड़े और राष्ट्रीय टीम का हिस्सा एक वैज्ञानिक कहना है कि जब तक लापरवाहियां बंद नहीं होंगी, कोरोना संक्रमण का मुकाबला आसान नहीं होगा।

 

 

 

सूत्रों का कहना है कि पता नहीं किसने सुझाव दिया था कि 18 साल से ऊपर वालों को टीका लगवा दो। प्रधानमंत्री ने भी घोषणा कर दी। इससे पूरा टीकाकरण का कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग, प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और नेशनल कोविड टास्क फोर्स की टीम को पता है कि जुलाई के दूसरे सप्ताह से पहले यह चाल नहीं पकड़ सकेगा। 

 

 

 

अब रोज 17 लाख को ही लग पा रहे टीके

बताते हैं कि देश में अभी 45 साल से ऊपर वालों के लिए टीके कम पड़ रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए 70 करोड़ टीकों की आवश्यकता है। वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में देश के 70 हजार टीका केन्द्रों पर प्रतिदिन 25-30 लाख लोगों को टीके लग रहे थे। इस समय देश में रोज अधिकतम 17 लाख लोगों को ही टीके लग पा रहे हैं। पिछले 24 घंटे में 17 लाख 33 हजार 232 लोगों को ही टीके लगे। इनमें दूसरा डोज लगवाने वाले केवल 6,02,304 ही हैं, जबकि 11,33,328 लोगों ने पहला डोज लगवाया। 

 

 

 

18 साल से ऊपर वाले कुछेक लोग

बताते हैं 18 साल से ऊपर वालों को जुलाई के बाद ही तेजी से टीके लगेंगे। चूंकि प्रधानमंत्री ने घोषणा कर दी है, इसलिए केवल नाम मात्र के लिए इन्हें टीके लगाए जा रहे हैं। जबकि रोजाना इस वर्ग के लोग बड़ी संख्या में टीके लगवाने के लिए पंजीकरण करा रहे हैं। 

 

 

इसलिए आया टीकाकरण में गतिरोध

एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि समय पर निर्णय नहीं लिए जाने के कारण टीकाकरण अभियान में यह गतिरोध आया है। वह कहते हैं कि जब तक सरकार के स्तर पर सामूहिकता, तैयारी, सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक और टीकों के उत्पादन को ध्यान में रखकर निर्णय नहीं लिया जाएगा, महामारी का मजबूती के साथ सामना नहीं किया जा सकता।

 

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