न्यूज़ डेस्क : कोरोना संक्रमण की वजह से देश के अधिकांश हिस्सों में लाशों की कतारें लगी हैं। वहीं, नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। पिछले कई दिनों से ऐसी खबरें मिल रही थीं कि छत्तीसगढ़ के दक्षिणी बस्तर के विभिन्न इलाकों में छिपे अनेक नक्सली कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने घने जंगलों के बीच जरूरी इंजेक्शन और दवाओं का इंतजाम तो कर लिया, लेकिन बात ऑक्सीजन पर अटक गई है। इसके लिए उन्हें निकटवर्ती शहर में जाना होगा, वहां सुरक्षा बल तैनात हैं। हालांकि, पुलिस ने नक्सलियों तक यह संदेश भिजवाया है कि वे सरेंडर कर दें तो उन्हें ऑक्सीजन मिल सकती है। उनका इलाज भी अच्छे अस्पतालों में कराया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण से मंगलवार तक 10 नक्सलियों की मौत हो गई।
केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं दंतेवाड़ा पुलिस के सूत्र बताते हैं कि दक्षिण बस्तर के कोंडागांव, सुकमा व बीजापुर आदि जिलों में कोरोना संक्रमण गांव तक पहुंच चुका है। वहां जंगलों में छिपे अनेक नक्सली कोरोना की चपेट में आ गए हैं। जिला प्रशासन को यह चिंता है कि जंगल के इतने अंदर तक अगर कोरोना पहुंच चुका है तो वह आसपास के गांवों में कहर बरपा सकता है। दरअसल, नक्सलियों का स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलना-जुलना लगा रहता है। ऐसे में संक्रमण फैलने में देर नहीं लगेगी।
बता दें कि कई दिनों से ऐसी सूचनाएं भी मिल रही हैं कि जगदलपुर, बस्तर, बकावंड, लोहंडीगुडा और दरभा में भी कोरोना अपने पैर पसार रहा है। सवा सौ से अधिक नक्सली कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। पुलिस के मुताबिक, नक्सलियों की टॉप लीडर सुजाता भी कोरोना पॉजिटिव बताई गई है। बता दें कि सुजाता पर 25 लाख रुपये का इनाम है। इसके अलावा कई नक्सलियों को फूड प्वॉइजनिंग की शिकायत भी हुई थी। सूत्र बताते हैं कि अधिकांश नक्सली कोरोना से पीड़ित हैं। वहीं, दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव भी ऐसी आशंका जाहिर कर चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक, दक्षिण बस्तर और पश्चिम बस्तर में कोरोना संक्रमण के पीछे आंध्रप्रदेश स्ट्रेन बताया गया है। जंगल में नक्सलियों के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम करना सबसे बड़ी समस्या है। अगर कोई व्यक्ति ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जंगलों की तरफ जाता है तो वह सुरक्षा बलों की नजर से नहीं बच सकता। सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि पिछले साल भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कोरोना के केस सामने आए थे। हालांकि, उस वक्त हालात इतने खराब नहीं थे।
इस बार ऑक्सीजन सिलेंडर न मिलने से नक्सलियों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। दक्षिण बस्तर के जंगलों में स्थिति बहुत खराब होती जा रही है। वहां पीएलजीए बटालियन, सीआरसी मेंबर और प्लाटून मेंबर कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। अभी तक मिली सूचनाओं की मानें तो जंगल में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल सकता है। ऐसे में नक्सलियों से कहा गया है कि वे सरेंडर कर दें। इसके बाद उनका इलाज शुरू करा दिया जाएगा।
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