न्यूज़ डेस्क : पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों तृणमूल कांग्रसे प्रमुख ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में जीत दर्ज कर ली है। टीएमसी 200 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि टीएमसी तीसरी बार जीत दर्ज करेगी। बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने हमेशा 200 सीट पर जीत के दावे किए थे। जबकि तृणमूल के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि भाजपा दहाई का आंकड़ा पार कर गई तो मैं अपना काम ही छोड़ दूंगा। पर किशोर की ये बात सही साबित होती नजर आ रही है।
बहरहाल, इससे इतर खास खबर यह है कि टीएमसी भले ही जीत की ओर जा रही है, पर उसके लिए रणनीति बनाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एलान किया है कि वह अब किसी दल के लिए चुनावी रणनीति नहीं बनाएंगे। वह अपने काम को छोड़ रहे हैं। प्रशांत किशोर ने रविवार को एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि मैं अब चुनावी रणनीति नहीं बनाऊंगा, मैं इस पेशे को छोड़ रहा हूं।
किशोर ने कहा कि मैं जो करता हूं, अब उसे जारी नहीं रखना चाहता। मैंने काफी कुछ किया है। मेरे लिए एक ब्रेक लेने और जीवन में कुछ और करने का समय है। मैं इस जगह को छोड़ना चाहता हूं। राजनीति में फिर से वापसी की बात पर उन्होंने कहा कि मैं एक विफल नेता हूं। मैं वापस जाऊंगा और देखूंगा कि मुझे क्या करना है।
उन्होंने बंगाल चुनाव के नतीजों पर कहा कि भले ही चुनावी नतीजे अभी एकतरफा दिख रहे हों, लेकिन यह बेहद कड़ा मुकाबला था। हम बहुत अच्छा करने को लेकर आश्वस्त थे। भाजपा बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार करने की कोशिश कर रही थी कि वे बंगाल जीत रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने साक्षात्कार में यह भी कहा कि मोदी जी की लोकप्रियता का यह मतलब नहीं है कि बीजेपी हर चुनाव जीत जाएगी। भाजपा के नेताओं ने 40 रैलियां कर लीं, इसका मतलब यह कतई नहीं था कि टीएमसी हार जाएगी। बता दें कि बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर ने ही चुनावी रणनीति तैयार की थी।
प्रशांत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की रैलियों में भी बहुत ज्यादा भीड़ आती थी, फिर भी वह 18 सीटें हार गई थीं, तो भीड़ का मतलब वोट नहीं होता। वह मानते हैं कि भाजपा शक्तिशाली है लेकिन उसका अर्थ यह नहीं था कि वह जीत जाएगी।
प्रशांत किशोर ने कहा कि टीएमसी भले ही जीत गई है लेकिन हर पार्टी को चुनाव आयोग के रवैये पर आपत्ति करनी चाहिए। वह पक्षपात करता रहा। ममता बनर्जी की सबसे बड़ी ताकत उनका जनता के साथ जुड़ाव है। जिस तरह वह जनता से जुड़ जाती हैं, बहुत कम नेताओं को उस तरह करते देखा है।
प्रशांत किशोर के बीते 10 साल
‘वाइब्रेंट गुजरात‘ का खाका तैयार करने वाले प्रशांत किशोर ने साल 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रचार की जिम्मेदारी ली थी और तब 182 में से 115 सीटें जीतकर नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर चुनकर आए थे।
साल 2014 के 16वें लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचार की जिम्मेदारी प्रशांत को सौंपी। तब बीजेपी ने बहुमत से भी ज्यादा 282 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव में चाय पर चर्चा और थ्री-डी नरेंद्र मोदी का कॉन्सेप्ट प्रशांत ने ही तैयार किया था। इसके बाद से प्रशांत बतौर चुनावी रणनीतिकार बनकर उभरे।
साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं, ये नारे दिए जो काफी चर्चा में रहे। यहां जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को 243 में से 178 सीटों पर जीत मिली, जबकि एनडीए महज 58 सीटों पर सिमट गया था।
साल 2017 में प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार कर 117 सीटों में से 77 सीटों पर जीत दिलवाई।
साल 2017 के उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को अपने साथ लिया। हालांकि यहां बहुत बुरी हार हुई। 403 सीटों में से कांग्रेस को महज 47 सीटों पर जीत मिली। जबकि इस चुनाव में बीजेपी को 325 सीटों पर जीत मिली थी। यही वो मौका था जब प्रशांत की रणनीति नहीं चली।
इसके बाद साल 2019 में आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर चुनावी सलाहकार बने। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस के लिए प्रचार अभियान की योजना तैयार की और वाईएसआर को 175 में से 151 सीटों पर जीत मिली।
साल 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रंशात ने आम आदमी पार्टी के लिए चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभाई और लगे रहो केजरीवाल अभियान तैयार किया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर जीत मिलीं।
बिहार के रहने वाले हैं प्रशांत
प्रशांत किशोर (44) मूल रूप से बिहार के रोहतास जिले के गांव कोनार से ताल्लुक रखते हैं। बाद में उनका परिवार यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे बक्सर जिला में बस गया था। उनके पिता पेशे से डॉक्टर थे। बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट के तौर पर करियर शुरू करने से पहले प्रशांत यूनिसेफ में जॉब करते थे और उन्हें इसकी ब्रांडिंग की जिम्मेदारी मिली थी। वो 8 सालों तक यूनाइटेड नेशंस से भी जुड़े रहे और अफ्रीका में यूएन के एक मिशन के चीफ भी रहे।
Comments are closed.