न्यूज़ डेस्क : देश में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ा रहा है। कोरोना काल में ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं। इसके मद्देनजन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में बड़ा एलान किया। अब ग्राहकों को रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर (NEFT) के जरिए लेनदेन करने के लिए बैंकों के ऊपर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय बैंक ने इसका दायरा बैंकों से आगे बढ़ा दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एलान किया कि ये सुविधा अब नॉन बैंकिग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स भी दे सकेंगे। मालूम हो कि आरटीजीएस और एनईएफटी एक सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम है। लेकिन, अब नॉन-बैंक पेमेंट सिस्टम तक भी यह सुविधा दी जाएगी। यह प्रीपेड पेमेंट इस्ट्रूमेंट, कार्ड नेटवर्क्स, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स, आदि तक बढ़ाई जा चुकी है।
आरबीआई ने कहा कि इस सुविधा को बढ़ाने से वित्तीय सिस्टम में सेटलमेंट जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही देश में डिजिटल वित्तीय सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। इससे पहले छह जून 2019 को आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए आरटीजीएस व एनईएफटी को निशुल्क कर दिया था। सभी बैंकों में यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है।
क्या है आरटीजीएस?
आरटीजीएस का मतलब है रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम। ‘रियल टाइम’ का मतलब है तुरंत। मतलब जैसे ही आप पैसा ट्रांसफर करें, कुछ ही देर में वह खाते में पहुंच जाए। आरटीजीएस के जरिए जब आप लेनदेन करते हैं तो दूसरे खाते में तुरंत पैसा ट्रांसफर हो जाता है।
क्या है एनईएफटी?
एनईएफटी का मतलब है नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर। इंटरनेट के जरिए दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है।
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