न्यूज़ डेस्क : आज यानी मार्च के दूसरे रविवार से अमेरिका में समय एक घंटे आगे बढ़ा दिया जाएगा। ऐसा डेलाइट सेविंग टाइम (डीएसटी) प्रणाली के तहत होता है। लेकिन कई अमेरिकी सांसद इसे नागरिकों के जीवन में उलझन बढ़ाने वाला, सेहत के लिए खतरनाक और अर्थव्यवस्था को नुकसान देने वाला बताते हुए खत्म करना चाहते हैं।
यह प्रणाली 19वीं सदी से बदले मौसम में दिन की रोशनी के अधिकतम उपयोग के लिए बनाई गई थी। पूरे साल समय का संतुलन बना रहे, इसलिए नवंबर के पहले रविवार को घड़ियां वापस एक घंटे पीछे कर ली जाती हैं।
अमेरिका में साल 2007 से डीएसटी मार्च के दूसरे रविवार को लागू होता है और नवंबर के पहले रविवार को वापस लिया जाता है। 1966 में यूनिफॉर्म टाइम एक्ट के तहत यह काम रात दो बजे होता है। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी में ऐसा मार्च के आखिरी रविवार और अक्तूबर के आखिरी रविवार को किया जाता है।
दिन के अधिकतम उपयोग के लिए समय आगे बढ़ाने का विचार 18वीं शताब्दी में अमेरिकी राष्ट्रपति बेंजामिन फ्रेंकलिन ने दिया। उन्हें लगा कि वे घड़ी के अनुसार तय समय पर उठ कर गर्मियों की सुबह का काफी समय बर्बाद कर रहे हैं। रात में मोमबत्तियां भी नाहक जलाई जा रही हैं। उन्हाेंने सूर्योदय पर तोपें दागकर लोगों को जगाने का प्रस्ताव रखा। 100 साल बाद औद्योगिक क्रांति ने उनकी दुविधा को सभी से रूबरू करवाया। नतीजतन ‘सन टाइम’ लागू हुआ, जिसमें दो शहरों के बीच समय में अंतर रखा गया। लेकिन इससे रेलवे कंपनियों को अपनी ट्रेनें एक से दूसरे शहर समय पर पहुंचाना मुश्किल हो गया।
1883 तक अमेरिकी कारोबारी, वैज्ञानिक, रेलवे आदि ने समय के चार जोन ईस्टर्न, सेंट्रल, माउंटेन और पैसिफिक तय कर दिए। समय को ‘ईश्वर प्रदत्त’ बताते हुए कई चर्च तो विरोध करने लगे। वहीं समय के जोन तय होने के बाद फ्रेंकलिन का विचार लागू होना बाकी था।
धीरे-धीरे समझे पश्चिमी देश
साल 1900 में अंग्रेज बिल्डर विलियम विलेट ने घड़ियों का समय आगे बढ़ाने का विचार रखा, जिसे खारिज कर दिया गया। लेकिन 1916 में जर्मनी ने ऐसा करने का महत्व समझा और नई नीति बनाई। धीरे-धीरे कई अन्य देशों ने भी गर्मियों में समय को एक तय अवधि के लिए आगे बढ़ाने की प्रणाली बना ली। अंतत: 1948 में अमेरिका ने एक घंटे समय बढ़ाने की घोषणा की।
फायदा किसे?
अमेरिकी कारोबारी समूह नेशनल एसोसिएशन ऑफ कंवीनियंस स्टोर्स के प्रवक्ता जैफ लेनर्ड के अनुसार दिन का काम खत्म होने तक अंधेरा हो जाए तो लोग सीधे घर चले जाएंगे। फिर घूमने-फिरने, खेलने या दूसरे काम करने कौन आएगा? और अंधेरा न हो तो लोग कुछ न कुछ करने निकलेंगे ही, खरीदारी भी करेंगे तो बिक्री बढ़ेगी। चाहे स्टोर पर या रेस्टॉरेंट में।
दूसरा फायदा ऊर्जा की बचत का गिनाया जाता है। 2008 में अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने बताया कि डीएसटी से अमेरिका 0.5 प्रतिशत बिजली रोज बचाता है। लेकिन आर्थिक शोध ब्यूरो ने कहा कि समय आगे बढ़ाने से लोग घरों में ज्यादा समय रुक रहे हैं, इससे बिजली की मांग एक प्रतिशत बढ़ रही है।
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