न्यूज़ डेस्क : भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान काफी तेजी से चल रहा है। यहां अब तक एक करोड़ 48 लाख से भी अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि इनमें से दो लाख आठ हजार से ज्यादा टीके 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रसित 45 से 59 साल के लोगों को लगाए गए हैं। टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत कई नेता वैक्सीन की पहली खुराक ले चुके हैं और उन्होंने लोगों से बिना किसी झिझक के टीका लगवाने की अपील भी की है।
कोई व्यक्ति किस तरह समझेगा कि उसे कोमोरबिडिटी है?
डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, ‘कोई आम आदमी बुखार, पुरानी खांसी आदि जो आए और चली जाए, कोमोरबिडिटी में नहीं आती है। ऐसी बीमारी, जिसे गंभीर माना गया है, जिसके साथ लंबे समय तक रहना पड़ेगा, जैसे- कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज के मरीज आदि। इसके लिए 20 बीमारियों की सूची जारी की गई है। अगर कोई इसके अंतर्गत आते हैं तो एक फॉर्म भरना होगा। ये फॉर्म ऑनलाइन भी मौजूद है। इसे डाउनलोड करना होगा और जिस भी डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं, उनसे भरवाना होगा। लेकिन ध्यान रहे डॉक्टर रजिस्टर्ड होने चाहिए। इसे लेकर सेंटर पर जाना होगा। ये फॉर्म सरकारी अस्पताल में वैक्सीन लगवाने के लिए जरूरी है।
क्या आपको लगता है कि कोवैक्सिन को लेकर लोगों के मन में जो संदेह था, वो कम हो गया है?
डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, ‘जी हां, सबसे ज्यादा उंगली इसी वैक्सीन पर उठाई जा रही थी। इसलिए जरूरी था कि लोगों के अंदर से इस संदेह को दूर किया जाए। लेकिन, कई बार संदेह बातों से नहीं बल्कि एक्शन से दिया जाता है। अब जब पीएम मोदी ने खुद पूरी तरह से भारत में बनी कोवैक्सीन लगवाई है, ऐसे में लोगों के अंदर अगर थोड़ा भी संदेह है, तो दूर हो गया होगा। यह भी गौर करने वाली बात है कि लोगों में इसके साइड इफेक्ट को लेकर भी संशय था, लेकिन सभी ने देखा पीएम ने वैक्सीन भी मुस्कुराते हुए लगवाई।‘
क्या टीकाकरण से पहले काउंसलिंग करनी पड़ती है?
डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, ‘आम लोगों की ही नहीं बल्कि डॉक्टरों की भी काउंसलिंग करनी पड़ती है, लेकिन काउंसलिंग को दूसरे संदर्भ में न लें, मेरी खुद काउंसलिंग हुई है। जब मैं अस्पताल में 16 जनवरी को वैक्सीन लगवाने गया तो, डॉक्टर ने मुझे बताया कि ऐसे-ऐसे लगेगी, ये चेक होगा आदि। वैक्सीन लगने के बाद मुझे बैठाया गया और पूछा गया कि कोई परेशानी तो नहीं है। एक तरह से एकदम परफेक्ट इंतजाम किया गया है।‘
वो कौन-कौन से लोग हैं जो वैक्सीन नहीं लगवा सकते हैं?
डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, ’18 साल से कम उम्र के बच्चे वैक्सीन नहीं लगवा सकते हैं, क्योंकि 18 साल से कम उम्र वालों पर वैक्सीन का ट्रायल अभी तक नहीं हुआ है। दूसरा, वो महिलाओं जो बच्चे को स्तनपान करा रही हैं या गर्भवती हैं, उन्हें भी वैक्सीन नहीं लगवानी है। तीसरे, वो लोग हैं जिन्हें किसी दवा या वैक्सीन आदि से एलर्जी है। लेकिन, एलर्जी छोटी नहीं बल्कि कोई ऐसा साइड-इफेक्ट, जिससे व्यक्ति की कभी जान पर बन आई हो, वो भी वैक्सीन नहीं लगवा सकते हैं। जैसे कई लोगों को पेनिसिलिन के टीके से भी एलर्जी होती है। इसके अतिरिक्त अगर किसी को टीकाकरण के दिन बुखार आ जाए या कोई बीमारी अनियंत्रित हो गई है, तो उस दिन वैक्सीन न लगवाएं।‘
Comments are closed.