एनआईए ने गत सप्ताह इस मामले में चार्जशीट पेश की है। जिसमें बताया गया है कि आरोपी नवीद मुश्ताक शाह उर्फ नवीन बाबू जम्मू-कश्मीर पुलिस का पूर्व सिपाही था और उसने बडगाम में हथियारों और गोला बारूद का शिविर लगाया था…
न्यूज़ डेस्क : केंद्रीय गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर को लेकर चिंतित है। आतंकवाद को कुचलने और घाटी में सामान्य व्यवस्था बहाल करने की बाजी भले ही काफी हद तक जीत ली गई है, मगर इसके बावजूद कुछ चुनौतियां सिर उठा रही हैं। जीती हुई बाजी को अगर बरकरार रखना है तो गृह मंत्रालय को अभी कई तरह के कदम और उठाने होंगे।
भारतीय सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर और जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार अनिल गुप्ता कहते हैं, आतंकी संगठन फिर से सिर उठाने की कोशिश कर रहे हैं। आम लोगों के बीच रह रहे आतंकियों के स्लीपर सेल सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। चूंकि ये लोग लंबे समय से सामान्य जीवन में हैं, इसलिए इन पर किसी को शक भी नहीं होता। जम्मू-कश्मीर में ऐसे बहुत से लोग हैं जो प्राइवेट या सरकारी नौकरी में हैं, मगर आतंकी संगठनों से उनकी दूरी अभी खत्म नहीं हो सकी है। खासतौर से वन विभाग, पुलिस, राजस्व, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट आदि महकमों में बड़ी छानबीन की जरूरत है।
साल 2019 के दौरान बनिहाल में आतंकियों द्वारा विस्फोटकों से भरी सेंट्रो कार के जरिए सीआरपीएफ काफिले पर हमला करने का प्रयास किया गया था। इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी। एनआईए ने गत सप्ताह इस मामले में चार्जशीट पेश की है। इसमें पता चला है कि आरोपी नवीद मुश्ताक शाह उर्फ नवीन बाबू जम्मू-कश्मीर पुलिस का पूर्व सिपाही था। वर्ष 2017 में जब वह एफसीआई में बतौर गार्ड तैनात था तो उसने बडगाम में हथियारों और गोला बारूद का शिविर लगाया था। पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद वह आतंकी समूह हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया था।
पूर्व डीएसपी देवेंद्र सिंह तो आतंकियों के साथ पकड़े गए थे…
पूर्व ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता के अनुसार, ऐसे कई उदाहरण हैं। कई विभागों में आतंकियों के मददगार बैठे हैं। पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर जम्मू में साढ़े छह किलो की आईईडी सहित एक आतंकी पकड़ा गया था। उसने जम्मू में कई जगहों पर विस्फोट करने की योजना बनाई थी। पूछताछ के दौरान पता चला है कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अल बद्र के इशारे पर हमले की साजिश को अंजाम देने वाला था।
बतौर अनिल गुप्ता, सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियों को अब उन लोगों को बाहर निकालना होगा, जो सामान्य नागरिक बनकर आतंकियों के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां ऐसे लोगों पर नजर रख रही हैं। बचे हुए अलगाववादी संगठन ऐसे लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। अब जम्मू-कश्मीर में सभी जगहों पर 4जी सेवा चालू हो गई है। ऐसे में जांच एजेंसियों को यह ध्यान रखना होगा कि कहां से और किन लोगों की सीमा पार बातचीत हो रही है। आर्थिक मदद के रूट पर भी ध्यान देना होगा।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तानी आईएसआई आतंकी संगठन लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीन को आर्थिक मदद पहुंचाती है। इन संगठनों के घाटी में अच्छी खासी संख्या में स्लीपर सेल मौजूद हैं। लिहाज अब काफी हद तक घाटी में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है, ऐसे में पड़ोसी देश और उसके आतंकी संगठन परेशान हो गए हैं। दुबई और तुर्की के जरिए आर्थिक मदद पहुंचाने का मामला सामने आ चुका है।
जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन, अब नए सिरे से आतंकियों की भर्ती शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इस बाबत जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के अनुसार, पुलिस एवं सुरक्षा बल, स्लीपर सेल को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। घाटी में जो भी आतंकवादी बचे हैं, उनका बहुत जल्द खात्मा हो जाएगा। कई नए आतंकी संगठन पांव पसारना चाह रहे हैं। वे दिल्ली में एनएसए तक की रेकी कर रहे हैं। इन सभी बातों को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस सचेत है।
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