भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर हर साल 9.5 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और अब यह दुनिया में चौथे नंबर पर पहुंच चुका है। इस रफ्तार के पीछे कई वजह हैं, जिनमें प्रमुख वजह मध्य वर्ग की आय में बढ़ोतरी को माना जा सकता है…
न्यूज़ डेस्क : पहिये का अविष्कार मानव जाति की सबसे महानतम खोजों में से एक है, जिसमें मानव सभ्यता को रफ्तार दी। दूरगामी इलाकों तक पहुंच आसान हुई और समय भी कम लगने लगा। वक्त के साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में तकनीक भी शामिल हुई और आज 21वीं सदी में टेक्नोलॉजी ऑटोमोबाइल सेक्टर का नेतृत्व कर रही है। हर साल इस सेक्टर से जुड़े लाखों लोग अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन करते हुए नई-नई तकनीक इजाद कर रहे हैं और यह सफर लगातार जारी है। आने वाले समय में कई नए ट्रेंड देखने के लिए मिलेंगे, आइए जानते हैं इनके बारे में…
दुनिया में चौथे नंबर का बाजार
भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर हर साल 9.5 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और अब यह दुनिया में चौथे नंबर पर पहुंच चुका है। हालांकि इस रफ्तार के पीछे कई वजह हैं, जिनमें प्रमुख वजह मध्य वर्ग की आय में बढ़ोतरी को माना जा सकता है, जिसके वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर को कई नए ग्राहक मिले। 2019 तक इस सेक्टर में 23.89 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी हो चुका है। वहीं सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर’ जैसे प्रयासों से इस सेक्टर को नई उड़ान मिली है। वहीं ऑटो सेक्टर में नए अविष्कारों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी की दर को 12 से घटा कर पांच फीसदी कर दिया, वहीं उपकरण निर्माता भी भारत को मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनाने के लिए तकनीक में निवेश कर रहे हैं, वहीं भारत भी भविष्य की महत्वाकांक्षाओं और मांगों को पूरा करने के लिए ऑटो क्षेत्र के विकास पर केंद्रित कर रहा है।
ई-मोबिलिटी और कनेक्टिविटी
साल 2019 ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए ट्रांसफोरमेशन वाला रहा। इस साल कई अपग्रेडेशन इस सेक्टर को देखने को मिले। जिनमें सबसे प्रमुख था कनेक्टिंग टेक्नोलॉजी। भविष्य में सभी वाहन एप्स और डिवासेज पर निर्भर रहेंगे। वहीं इसमें डाटा की भूमिका बेहद अहम होगी। इस साल लॉन्च होने वाली तकरीबन सभी गाड़ियां कनेक्टिंग टेक्नोलॉजी से लैस होंगी।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए सरकार का टारगेट है कि देश में 2030 तक ईंधन आधारित वाहनों की बिक्री बंद हो जाए औक केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही सड़कों पर दौड़ें। अकेला भारत ही ऐसा देश नहीं हैं बल्कि दुनिया के कई देश भी ऐसा ही एलान कर चुके हैं। हालांकि अभी देश का आधारभूत ढांचा इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए अनुकूल नहीं हैं कि लेकिन सरकार के प्रयासों से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की तैयारी हो रही है, ताकि लंबे सफर के दौरान निर्बाध रूप से इलेक्ट्रिक गाड़ियों का परिवहन हो सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग
फिलहाल अभी ऑटोमोबाइल सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के इस्तेमाल को लेकर मंथन जारी है। अगर ये टेक्नोलॉजी गाड़ियों में आ जाती हैं, तो गाड़ियों के कई सारे फंक्शन ऑटोमैटिक काम करेंगे। वहीं इन दोनों तकनीक आप और आपकी कार के बीच संबंधों को और गहरा बनाएंगी। इन तकनीकों के जरिए यूजर्स चुटकियों में अपनी कार के इंजन का स्टेटस, तापमान आदि तुरंत जान पाएंगे। वहीं भविष्य में आने वाली दिक्कतों का पहले ही पता चल सकेगा।
नया इंटरफेस
थर्ज पार्टी प्लेयर्स जैसे गूगल आदि पहले ही यूजर्स के एक्सपीरियस को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। गूगल पहले ही ग्राहकों की जरूरत को देखते हुए एंड्रॉयड ऑटो को लॉन्च कर चुका है, ताकि यूजर्स ड्राइविंग के दौरान भी अपनी डिवाइसेज के साथ कनेक्टिंग रहें और वॉयस कमांड्स के जरिए कई फंक्शंस कंट्रोल कर सकते हैं। हालांकि अभी ये प्राथमिक अवस्था में है, लेकिन इनोवेशन पर काम जारी है और भविष्य में कई अविष्कार ड्राइविंग अनुभव को और शानदार बनाएंगे।
सेफ्टी और सिक्योरिटी पर फोकस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से ऑटोमोबाइल सेक्टर को सेल्फ ड्राइविंग कारों का भविष्य सुनहरा दिखाई देने लगा है, वहीं एआई के आने से यूजर्स की बेहतर सुरक्षा का भी भरोसा मिलता है। आने वाले सालों में कॉमर्शियल सेगमेंट में ऑटोनोमस व्हीकल्स की एंट्री होने वाली है। भारत सरकार भी इसकी तैयारी कर रही है। सरकार ने हाल ही में ऑटोनोमस व्हीकल्स अपनाने को लेकर 2022 तक सभी बेचे जानी वाली कारों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ADAS यानी एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम को अनिवार्य बनाया है। इसका फायदा यह होगा कि सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों और पैदल यात्रियों का आसानी से पता लग सकेगा और भावी टक्कर को रोका जा सकेगा।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स
इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी IoT टेक्नोलॉजी के जरिए रियल टाइम डाटा मिल सकेगा, जो यूजर्स के लिए बेहद फायदेमंद होगा। तकनीक के जरिए उस डाटा का व्यापक विश्लेषण किया जा सकेगा। इस तकनीक के जरिए इमरजेंसी की स्थिति में सर्विस प्रोवाइडर को ट्रैफिक जाम की जानकारी एसओएस के जरिए भेजी जा सकेगी, जिससे समय भी बचेगा और वाहन स्वयं ही यह डाटा प्रोवाइडर को भेज देगा
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