न्यूज़ डेस्क : दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल कंपनी Tesla (टेस्ला) ने भारत में निवेश के लिए अमेरिका के बजाय ‘टैक्स हैवेन’ माने जानेवाले देश नीदरलैंड्स का सहारा लिया है। अमेरिकी कार निर्माता कंपनी टेस्ला मोटर्स अमेरिका के कैलिफोर्निया में रजिस्टर्ड है। टेस्ला ने भारत में अपनी सहयोगी कंपनी को टेस्ला मोटर्स एंड एनर्जी, इंडिया के नाम से रजिस्ट्रेशन कराया है। इस कंपनी की पेरेंट कंपनी टेस्ला मोटर्स एम्सटर्डम (नीदरलैंड्स) है। टेस्ला मोटर नीदरलैंड इसकी सब्सिडियरी कंपनी है। ऐसा करने के पीछे टेस्ला के मालिक Elon Musk (एलन मस्क) का कारोबारी दिमाग है, जो भारत में कारोबार शुरू करने से पहले ही टैक्स बचाने की मंशा रखती है।
भारत का कॉरपोरेट स्ट्रक्चर
टैक्स मामलों के जानकारों का कहना है कि टेस्ला ने यह कदम टैक्स बचाने के लिए उठाया है। भारत का जो कॉरपोरेट स्ट्रक्चर है, उसकी वजह से टेस्ला इंडिया को नीदरलैंड्स के रास्ते आने पर कैपिटल गेन और डिविडेंड पर टैक्स में काफी राहत मिल सकती है। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां नीदरलैंड्स के रास्ते ही भारत में निवेश करती हैं। ऐसा करने के पीछे की वजह यह है कि नीदरलैंड्स में टैक्स रेट कम हैं और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (बौद्धिक संपदा) कानून काफी कड़े हैं।
नीदरलैंड्स और भारत का टैक्स समझौता
इसके अलावा मॉरीशस और सिंगापुर के साथ भारत के टैक्स समझौते में बदलाव के बाद अब इन देशों से आने वाले एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) पर पहले की तरह कैपिटल गेन टैक्स की छूट पाने का कोई तरीका नहीं बचा है। जबकि नीदरलैंड्स और भारत के बीच टैक्स समझौते के तहत अगर कोई डच कंपनी भारतीय शेयरों को किसी गैर-भारतीय कंपनी को बेचती है तो इस पर कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलती है। इसके अलावा यदि कोई निवेशक नीदरलैंड्स के रास्ते आता है तो डिविडेंड टैक्स और विथहोल्डिंग टैक्स भी कम लगते हैं। यही वजह है कि टेस्ला नीदरलैंड के रास्ते भारत आ रही है।
वोडाफोन ने इसलिए जीता टैक्स केस
इससे पहले टेलीकॉम क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वोडाफोन ने टैक्स बचाने के लिए नीदरलैंड्स के रास्ते भारत में निवेश का विकल्प चुना था। और हाल ही में उन्हीं टैक्स समझौतों के आधार पर वोडाफोन ने भारत सरकार से टैक्स में छूट के मसले पर चल रहे आर्बिट्रेशन केस को जीता है।
ऐसा करने वाली पहली कंपनी है टेस्ला
हालांकि टेस्ला से पहले भारत में एंट्री करने वाली ऑटोमोबाइल कंपनियों ने नीदरलैंड के रास्ते भारत में निवेश करने के ट्रेंड को नहीं अपनाया। MG Motor (एमजी मोटर) ने अपनी पैरेंट कंपनी SAIC Motors (एसएआईसी मोटर्स) चीन के रास्ते ही भारत में एंट्री की थी। इसी तरह दक्षिण कोरि
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