एनपीए सितंबर 2021 तक बढ़कर 13.5 फीसदी हो सकता है, बैंकों को रहना चाहिए सतर्क : आरबीआई गवर्नर

न्यूज़ डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि नियामकीय राहतों को वापस लेने के साथ महामारी के कारण बही-खातों में संपत्ति का मूल्य घट सकता है और पूंजी की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) सितंबर 2021 तक बढ़कर 13.5 फीसदी हो सकता है जो एक साल पहले 7.5 था।

 

 

 

छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की भूमिका में आरबीआई गवर्नर ने लिखा है, बैंक क्षेत्र की वित्तीय सेहत को बनाए रखना नीति की प्राथमिकता है। दास ने कहा कि महामारी से हमें नुकसान हुआ है, आगे आर्थिक वृद्धि और आजीविका बहाल करने का काम करना है। 

 

 

शक्तिकांत दास ने कहा कि लेखांकन के स्तर पर उपलब्ध आंकड़े बैंकों में दबाव की सही तस्वीर नहीं बता पाते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को पूंजी जुटानी चाहिए और कारोबार के मॉडल में जरूरी बदलाव करने चाहिए। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश में कोविड-19 महामारी संकट के कारण सरकार के बाजार उधारी कार्यक्रम के विस्तार से बैंकों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।

 

 

उन्होंने कहा कि वित्तीय परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्य वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है। बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों को इसका संज्ञान लेने की आवश्यकता है। दास ने कहा कि आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए यह जोखिम कम करना बहुत जरूरी है।

 

 

वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी में 10.1 फीसदी वृद्धि का अनुमान

घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा रेटिंग ने सोमवार को कहा कि उसे वित्त वर्ष 2022 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 10.1 फीसदी वृद्धि होने की उम्मीद है। हालांकि, उसने यह भी कहा कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद का कुल मूल्य उस स्तर को थोड़ा ही पार कर पाएगा, जो वित्त वर्ष 2020 में उसने हासिल किया था।

 

 

एजेंसी की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में 7.8 फीसदी की गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी 10.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज कर सकती है। यह वृद्धि आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने, कोरोना टीकाकरण की शुरुआत होने और एक साल पहले के निम्न आधार के चलते रहेगी।’

 

 

अदिति नायर ने आगे कहा, ‘हम वास्तविक संदर्भों में भारत की जीडीपी के वित्त वर्ष 2022 में उस स्तर से कुछ ही ऊपर रहने की उम्मीद कर रहे हैं, जो स्तर वित्त वर्ष 2020 में पाया गया है।’ बता दें कि एजेंसी को खुदरा मुद्रास्फीति के वित्त वर्ष 2021 के 6.4 फीसदी से कम होकर वित्त वर्ष 2022 में 4.6 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है।

 

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