न्यूज़ डेस्क : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर पार्टी में चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जबतक हमारी पार्टी में हर स्तर पर चुनाव नहीं होगा तब तक पार्टी की स्थिति नहीं सुधरने वाली है।
उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमारी पार्टी के कुछ नेताओं में 5-स्टार वाली संस्कृति है। 5-स्टार से चुनाव नहीं लड़े जाते। हमारे नेताओं के साथ समस्या है कि अगर टिकट मिल गया तो 5-स्टार में जाकर बुक हो जाते हैं। एयर कंडीशनर गाड़ी के बिना नहीं जाएंगे, जहां कच्ची सड़क है वहां नहीं जाएंगे। जब तक ये कल्चर हम नहीं बदलेंगे, हम चुनाव नहीं जीत सकते।
उन्होंने कहा कि हमारा ढांचा कमजोर है, हमें ढांचा पहले खड़ा करना पड़ेगा। फिर उसमें कोई भी नेता हो चलेगा। सिर्फ नेता बदलने से आप कहेंगे कि पार्टी बदल जाएगी यह मानना गलत है। हमें सिस्टम को बदलना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे लोगों का ब्लॉक स्तर पर, जिला स्तर पर लोगों के साथ कनेक्शन टूट गया है। जब कोई पदाधिकारी हमारी पार्टी में बनता है तो वो लेटर पैड छाप देता है, विजिटिंग कार्ड बना देता है, वो समझता है बस मेरा काम ख़त्म हो गया, काम तो उस समय से शुरू होना चाहिए।
कोरोना महामारी के कारण पार्टी नेतृत्व को क्लीन चिट
वहीं आजाद ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पार्टी नेतृत्व को क्लीन चिट दे रहा हूं क्योंकि वे अभी बहुत कुछ नहीं कर सकते। हम मांगों पर अभी भी अडिग हैं। हालेंकि वे हमारी अधिकांश मांगों के लिए सहमत हो गए हैं। यदि वे राष्ट्रीय विकल्प बनना चाहते हैं और पार्टी को पुनर्जीवित करना चाहते हैं तो हमारे नेतृत्व को चुनाव करना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी में कोई विद्रोह नहीं
कांग्रेस पार्टी में कोई विद्रोह नहीं है। विद्रोह का अर्थ है किसी को प्रतिस्थापित करना। पार्टी अध्यक्ष पद के लिए कोई अन्य उम्मीदवार नहीं है। यह कोई विद्रोह नहीं है। हमारी आवाज सुधारों के लिए है।
चाटुकारिता की संस्कृति से पार्टी समाप्त हो जाती है
चाटुकारिता की संस्कृति से कोई भी पार्टी ज्यादा दिन नहीं चल सकती और साथ ही साथ यह नेताओं के पतन का मुख्य कारण भी बन गई है। हमें हर स्तर पर इस संस्कृति से दूर रहना चाहिए। राजनीति एक तपस्या है। उन लोगों पर शर्म आती है जो आनंद और धन के लिए राजनीति में शामिल होते हैं।
पिछले 72 सालों में कांग्रेस अब तक के सबसे निचले पायदान पर
पिछले 72 सालों में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है। कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है। लेकिन कांग्रेस ने लद्दाख पहाड़ी परिषद चुनावों में 9 सीटें जीतीं, जबकि हम इस तरह के सकारात्मक परिणाम की उम्मीद नहीं कर रहे थे।
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