न्यूज़ डेस्क : बिहार चुनाव पर काम कर रहे चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इसमें महिलाओं का बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत काफी महत्वपूर्ण रहा है। इसके बूते बिहार में एनडीए सत्ता में आने में सफल रहा है…
बिहार विधानसभा चुनाव का अभी अंतिम नतीजा नहीं आया है। करीब 20 सीटों पर कांटे की टक्कर चल रही है और हार-जीत के रुझान का अंतर 15 वोटों से कम है। अभी तक के रुझानों में 124 सीटों पर एनडीए और 109 सीटों पर महागठबंधन आगे चल रहा है। 10 सीटों पर अन्य आगे चल रहे हैं।
चुनाव के नतीजे से साफ है कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के अलग चुनाव लड़ने के फैसले से भाजपा को अप्रत्याशित फायदा हुआ है। भाजपा राज्य में 77 विधानसभा सीटों पर जीत की तरफ बढ़ रही है। दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनता दल है और आरजेडी 69 सीटों पर जीत की तरफ बढ़ रही है।
कांग्रेस 20 सीटों पर बढ़त बनाए है और वाम दलों का प्रदर्शन उम्मीद से काफी अच्छा है। उनके खाते में 19 सीटें हैं। वहीं बिहार में पिछले चुनाव में राजद के बाद दूसरे नंबर पर रहने वाली जद(यू) को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ रहा है। जेडी(यू) भाजपा से करीब 36 सीट कम और 40 सीटों पर आगे चल रही है।
बिहार चुनाव पर काम कर रहे चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इसमें महिलाओं का बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत काफी महत्वपूर्ण रहा है। इसके बूते बिहार में एनडीए सत्ता में आने में सफल रहा है। वहीं चिराग के अलग और जद(यू) के खिलाफ प्रत्याशी उतारने तथा भाजपा के पक्ष में बने रहने का भी नीतीश कुमार को नुकसान उठाना पड़ा है। इसके कारण भाजपा बिहार की सबसे अधिक सीटें जीतने की राह पर है।
एमआईएमआईएम के ओवैसी ने कांग्रेस, आरजेडी को दी चोट!
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम ने किशनगंज समेत बिहार के अल्पसंख्यक प्रभावित क्षेत्रों में राजद और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। राजद के राहुल यादव का भी मानना है कि एमआईएमआईएम को किशनगंज समेत तमाम विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों ने वोट दिया है। अल्पसंख्यकों के वोटों के बंटवारे से जहां भाजपा को इसका लाभ मिला, वहीं महागठबंधन को दो दर्जन सीटों पर सीधे नुकसान उठाना पड़ा है।
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