बिहार चुनाव : तेजस्वी यादव है जंगलराज का युवराज : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

न्यूज़ डेस्क : बिहार में एक तरफ जहां पहले चरण के लिए मतदान हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्य में ताबड़तोड़ तीन रैलियां की। भागलपुर, मुजफ्फरपुर के बाद उन्होंने राजधानी पटना में लोगों को संबोधित किया। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान पर एक शब्द भी नहीं कहा।

 

 

प्रधानमंत्री ने महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव को जंगलराज का युवराज करार दिया। उन्होंने कहा कि इनका ट्रैक रिकॉर्ड देखिए क्या ये बिहार की जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने एनडीए की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि बिहार विकास की प्रगति पर आगे बढ़ रहा है। कुशासन से हटकर सुशासन के मार्ग पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने ठान लिया है कि राज्य को लूटने वालों को परास्त करेंगे। पढ़ें प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें

 

 

‘जंगलराज के युवराज’ से बिहार की जनता क्या अपेक्षा रखती है

‘जंगलराज के युवराज’ से बिहार की जनता पुराने ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर और क्या अपेक्षा कर सकती है? जंगलराज की परंपरा में सब सीखने वाले लोगों को मुझसे ज्यादा अच्छी तरह बिहार की जनता जानती है।

ऑप्टिकल फाइबर से हर गांव में सार्वजनिक वाई-फाई सेवा मिलेगी। प्राथमिक विद्यालय, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी और जीविका दीदीयों को एक साल के लिए मुफ्त इंटरनेट सुविधा दी जाएगी।

टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अब नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन भी शुरू किया जा रहा है।

इसके तहत बिहार के सभी नागरिकों का हेल्थ रिकॉर्ड बनेगा। इससे गरीब को, मध्यम वर्ग के साथियों को अस्पतालों में लंबी कतारों में खड़ा होने की जरूरत नहीं रहेंगी।

निरंतर आगे बढ़ना, नए आयाम तय करना ही विकास है। अब देश के करोड़ों साथियों को गांव में तेज इंटरनेट चाहिए। 1,000 दिनों के भीतर गांव-गांव ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाने का अभियान भी बिहार से शुरू हो चुका है। लक्ष्य ये है कि बिहार के गांव-गांव में ये काम कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाए।

 

 

बिहार में आईटी हब बनने की पूरी संभावना है

जनधन, आधार, मोबाइल की त्रिशक्ति अगर नहीं होती, तो कोरोना काल में बिहार के लाखों गरीबों के हक का राशन कोई हड़प लेता। जो पहले के वर्षों में होता था।

बिहार में आईटी हब बनने की, पूरी संभावना है। यहां पटना में भी आईटी की बड़ी कंपनी ने अपना ऑफिस खोला है। सिर्फ ऑफिस ही नहीं खुला है, बिहार के नौजवानों के लिए नए अवसर भी खुले हैं। बीते वर्षों में दर्जन भर बीपीओ पटना, मुजफ्फरपुर और गया में खुले हैं।

आज एनडीए सरकार का जोर है कि सरकारी सेवाओं और सुविधाओं से कोई क्षेत्र या कोई व्यक्ति छूट न जाए। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है पटना में ही शहरी गरीबों को 28 हजार पक्के घर टेक्नोलॉजी के उपयोग से स्वीकृत हुए हैं।

 

 

सड़क, पानी और सीवर जैसे बुनियादी मुद्दों पर हो रहा है काम

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा और अवसरों के अभाव के कारण बिहार का जो हमारा गरीब और वंचित छूट जाता था, उसको सबसे ज्यादा लाभ होने वाला है।

बीते समय में शिक्षा से लेकर शासन तक, किसान से लेकर श्रमिक तक, ईज ऑफ लिविंग से लेकर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तक के लिए अभूतपूर्व रिफॉर्म्स किए गए हैं। आज साढ़े तीन दशक बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश को मिल चुकी है।

आज पटना सहित बिहार के सभी शहरों में सड़क, पानी और सीवर जैसे बुनियादी मुद्दों पर तेज गति से काम किया जा रहा है। गंगा जी में गिरने वाले गंदे नालों का पानी साफ करने के लिए आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट भी लग रहे हैं।

बिहार के गरीब की आकांक्षा कौन पूरी कर सकता है

पहले पटना में रिंग रोड की मांग होती थी। रिंग रोड बनी तो फिर मेट्रो की मांग तेज हुई। आज पटना मेट्रो पर काम चल रहा है तो दूसरे शहरों में भी ऐसी ही सुविधा की अपेक्षाएं बढ़ी हैं।

जिन लोगों ने सिर्फ अपने परिवार के बारे में सोचा, बिहार के एक-एक व्यक्ति के साथ अन्याय किया, दलितों-पिछड़ों-वंचितों का हक भी हड़प लिया, क्या वो लोग बिहार की उम्मीदों को समझ भी पाएंगे?

बिहार के गरीब की आकांक्षा, बिहार के मध्यम वर्ग की ये आकांक्षा कौन पूरी कर सकता है? वो लोग जिन्होंने बिहार को बीमार बनाया, बिहार को लूटा, क्या वो ये काम कर सकते हैं।

पहले सामान्य रेलवे स्टेशन भी एक सपना थे। अब स्टेशन तो आधुनिक सुविधाओं से जुड़ ही रहे हैं, नए-नए रेल रूट शुरू किए जाने की भी आकांक्षा है।

कुशासन से सुशासन की तरफ मजबूती से कदम बढ़ा रहा है बिहार

पहले अस्पताल में एक डॉक्टर का मिलना दुर्लभ था। अब जगह-जगह मेडिकल कॉलेज और एम्स जैसी सुविधाओं की आकांक्षा है। पहले गांव-गांव में मांग थी कि किसी तरह खड़ंजा बिछ जाए, अब हर मौसम में बनी रहने वाली चौड़ी सड़कों की आकांक्षा है।

 

 

अटल जी कभी कहते थे कि बिहार में बिजली की परिभाषा ये है, कि वो आती कम है और जाती ज्यादा है। लालटेन काल का अंधेरा अब छट चुका है। बिहार की आकांक्षा अब लगातार बिजली और एलईडी बल्ब की है।

 

 

बीते डेढ़ दशक में बिहार ने नीतीश जी की अगुवाई में कुशासन से सुशासन की तरफ कदम मजबूती से बढ़ाए हैं। एनडीए सरकार के प्रयासों के कारण बिहार ने, असुविधा से सुविधा की ओर, अंधेरे से उजाले की ओर, अविश्वास से विश्वास की ओर, अपहरण उद्योग से अवसरों की ओर का एक लंबा सफर तय किया है।

 

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