51 फीसदी भारतीयों के पास रिटायरमेंट की योजना नहीं : सर्वे

न्यूज़ डेस्क : नौकरी करते समय हम मकान, गाड़ी खरीदने और बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए ही पूंजी जुटाने में व्यस्त रहते हैं और खुद के लिए योजना बनाने का समय ही नहीं मिलता। लिहाजा आपको यह समझना होगा कि रिटायरमेंट पूंजी जमा करना भी अन्य लक्ष्यों जितना महत्वपूर्ण है। अगर इसमें देरी होती है तो पर्याप्त पूंजी एकत्र करना संभव नहीं होगा और रिटायरमेंट के बाद आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ सकता है। इसलिए इस लक्ष्य के लिए जितनी जल्दी हो सके अपने निवेश की शुरुआत कर दें।

 

 

लोगों का रिटायरमेंट के प्रति किस तरह का नजरिया है, इसके लिए PGIM की पूर्ण स्वामित्व वाली कारोबारी ईकाई PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड ने एक सर्वे किया। सर्वे से पता चला कि यह धारणा अब पुरानी हो चुकी है कि भारत बचत करने वालों का देश है। शहरी भारतीय अब बचत और निवेश कम कर रहे हैं और अपनी आय का करीब 59 फीसदी मौजूदा खर्चों के लिए आवंटित कर रहे हैं। देश में ज्यादातर लोगों के पास रिटायरमेंट फंड नहीं है। सर्वे में खुलासा हुआ है कि रिटायरमेंट प्लानिंग लोगों की प्राथमिकता में नीचे है। वहीं बच्चों और पति-पत्नी की वित्तीय सुरक्षा और फिटनेस एवं लाइफस्टाइल इसमें ऊपरी पायदान पर हैं।

 

 

कुल 15 शहरों में हुआ सर्वे

यह सर्वे कुल 15 शहरों में किया गया और इसमें रिटायरमेंट प्लानिंग और इसकी जागरूकता जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया गया। सर्वे में शामिल लोगों की औसत सालाना आय करीब 5.72 लाख रुपये और औसत आयु 44 वर्ष थी। सर्वे से निम्नलिखित बातें सामने आईं-

 

सर्वे में शामिल 51 फीसदी लोगों ने अपनी रिटायरमेंट के लिए कोई वित्तीय योजना नहीं बनाई है। 89 फीसदी भारतीयों ने रिटायरमेंट के लिए कोई तैयारी नहीं की है। यानी उनके पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत भी नहीं है।

 

पांच भारतीय में से केवल एक भारतीय ही रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय महंगाई का विचार करता है। जबकि फाइनेंशियल प्लानिंग के समय महंगाई को जोड़ना अत्यंत आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए अगर आपका मासिक खर्च 50,000 रुपये प्रति माह है और अगर वार्षिक दर से महंगाई लगातार छह फीसदी बढ़ रही है, तो इसका मतलब होगा कि आपको 20 साल बाद हर महीने 1.6 लाख रुपये खर्च करने होंगे। ऐसे में आपको ऐसी योजना तैयार करनी होगी जिससे आप मोटा पैसा जुटा सकें।

 

 

41 फीसदी लोगों ने रिटायरमेंट के लिए निवेश में जीवन बीमा पर जोर दिया है। 

37 फीसदी ने सावधि जमा योजनाओं यानी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को प्राथमिकता दी है।

इस बीच यह बात भी सामने आई कि 48 फीसदी भारतीयों को अंदाजा ही नहीं है कि रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए उन्हें कितनी रकम की जरूरत होगी।

 

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन ने कहा कि, प्रतिभागियों का मानना है कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए करीब 50 लाख रुपये की राशि की जरूरत होगी, जो उनकी मौजूदा सालाना आमदनी का करीब 8.8 गुना है। भारतीयों को रिटायरमेंट प्लानिंग पर फोकस करना चाहिए ताकि भारतीय दक्षता के साथ वित्तीय निर्णय ले सकें और अपनी परेशानी को कम कर सकें।

 

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