न्यूज़ डेस्क : नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि सरकार भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है। कांत ने मंगलवार को उद्योग मंडल फिक्की के एक आभासी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार विशेष रूप से निर्यात पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने को उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का विस्तार अधिक क्षेत्रों तक करने के लिए अपनी योजनाओं को अंतिम रूप दे रही है।
कांत ने कहा, ‘सरकार भारत को एक वास्तविक विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश करने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है। इसमें विशेष रूप निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत का मतलब खुद को अलग-थलग करना नहीं, बल्कि वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ गहराई से एकीकरण और देश की विनिर्माण ताकत का इस्तेमाल कर प्रमुख वैश्विक निर्यातक बनना है।’
निवेश और नवोन्मेष से बढ़ेगा विनिर्माण
आगे कांत ने कहा कि निवेश और नवोन्मेष से भारत में विनिर्माण बढ़ेगा। ‘देश और कंपनियां अपनी विनिर्माण रणनीतियों का नए सिरे से आकलन कर रही हैं, जो देश की वृद्धि में योगदान का एक नया मार्ग हो सकता है।’ मोबाइल और चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए पीएलआई योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोजगार का लाभ मिला है।
उन्होंने कहा कि, ’22 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विनिर्माता कंपनियों ने अगले पांच साल के दौरान 11 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल फोन उत्पादन के प्रस्ताव दिए हैं। इन कंपनियों में आईफोन कंपनी एपल के लिए अनुबंध पर विनिर्माण करने वाली कंपनी के अलावा सैमसंग, लावा और डिक्सन शामिल हैं।’
कई क्षेत्रों के लिए शुरू होगी पीएलआई योजना
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि मोबाइल विनिर्माण के साथ इसी तरह की योजनाएं फार्मास्युटिकल्स और चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों में भी शुरू की गई हैं। अब हम वाहन, नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करणऔर सौर पीवी विनिर्माण जैसे क्षेत्रों के लिए भी योजनाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। सरकार ने बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना को अधिसूचित किया है।
कांत ने कहा कि भारत अपनी मजबूती वाले क्षेत्रों में वैश्विक विनिर्माण चैंपियनों को आगे लाने की मंशा रखता है। उन्होंने कहा कि 2025 तक विनिर्माण के जरिए मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र देश के निर्यात लक्ष्य की अगुवाई करेंगे।
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