33 करोड़ गोबर के दीपक से मनाई जायेगी राष्ट्रीय कामधेनु दीवाली

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन डॉक्टर वल्लभ भाई कथीरिया ने बताया, भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में नंबर एक पर होने के बावजूद प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता के मामले में हम आधे पर हैं…

 

 

न्यूज़ डेस्क : राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इस साल पूरे देश की दीवाली को गौ-माता के रंग में रंगने का निर्णय किया है। इसके तहत इस साल दीपावली पर गाय के गोबर से निर्मित दीयों को जलाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का लक्ष्य है कि देश के 11 करोड़ परिवारों के माध्यम से इस वर्ष 33 करोड़ गोबर के दीपक जलाए जाएं।

 

 

इसके लिए लाखों परिवारों के माध्यम से गाय के गोबर से दीपकों का निर्माण किया जा रहा है। इसके पहले आयोग ने गोमय गणेश अभियान की शुरुआत की थी जो काफी सफल रही थी। इसी को देखते हुए आयोग ने राष्ट्रीय कामधेनु दीवाली मनाने की योजना बनाई है।

 

 

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन डॉक्टर वल्लभ भाई कथीरिया ने सोमवार को इस अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि गायों से जुड़े उत्पादों को संवर्धित कर उन्हें बेचने को प्रोत्साहन देने के लिए आयोग लगातार काम कर रहा है। इससे देश के गौपालकों के जीवन में भारी परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में नंबर एक पर होने के बावजूद प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता के मामले में हम आधे पर हैं।

 

 

उन्होंने कहा कि गाय हमारे किसानों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। बदले समय में बैलों की उपयोगिता कम हो जाने के कारण किसानों को काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन अगर गौ-उत्पादों को संवर्धित कर उन्हें उपयोग में लाया जाए तो इससे न सिर्फ वातावरण शुद्ध होगा, बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी की जा सकेगी। वर्तमान दीपावली का प्रस्ताव इसी योजना को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

 

दीपावली के लिए गोबर आधारित दीये, मोमबत्तियां, धूप, अगरबत्तियां, शुभ-लाभ, स्वास्तिक, समरानी, हार्ड बॉर्ड, वाल पीस, पेपर वेट, हवन सामग्री, भगवान गणेश एवं लक्ष्मी की प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। भगवान श्रीराम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में तीन लाख दीये प्रज्वलित किए जाएंगे। इसी प्रकार काशी में भी एक लाख दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

 

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाय एवं गौवंश की सुरक्षा, संरक्षण, विकास और पशुपालन कार्यक्रम के उचित दिशा में उत्थान को सुनिश्चित करने के लिए की थी। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग स्थायी निकाय है ,जो गोपालन से संबंधित योजनाओं के नीतिनिर्माण एवं क्रियान्वयन को उचित दिशा प्रदान करने के लिए काम करता है।

 

 

गोबर आधारित उत्पादों के प्रयोग में वृद्धि से गोआधारित उत्पादन में संलिप्त उद्यमियों, किसानों, महिला उद्यमियों के लिए व्यापार के अवसरों का सृजन होगा। यह प्रयास गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहद कारगर साबित हो सकता है।

 

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