न्यूज़ डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने यह अनुमान व्यक्त किया। इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी अनुमान के अनुसार पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है।
अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण
मौद्रिक नीति समिति की बुधवार को शुरू हुई बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है। दास ने कहा, ‘अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण दिखने लगी है।’
लक्ष्य के दायरे में आ सकती मुद्रास्फीति
उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र और ऊर्जा खपत में तेजी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति भी 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर तय लक्ष्य के दायरे में आ सकती है। उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति हाल के महीनों में छह फीसदी से ऊपर पहुंच गई। आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) पर गौर करता है। सरकार ने आरबीआई को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर रखने का लक्ष्य दिया हुआ है।
दास ने कहा कि जीडीपी में चालू वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और जनवरी-मार्च तिमाही में यह सकारात्मक दायरे में पहुंच सकती है।
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