सर्दियों में क्या एक लहर और आएगी कोरोना की ? जानिए क्या कह रहे है विशेषज्ञ

न्यूज़ डेस्क : दुनिया के एक बड़े हिस्से में मौसम बदल रहा है। भारत के भी कई राज्यों में सर्दियां दस्तक दे रही हैं। बाकी राज्यों में भी ठंड का मौसम जल्द ही आने वाला है। मौसम में बदलाव का यही समय होता है जब कोल्ड-फ्लू या सर्दी-जुकाम आम बात हो जाती है। हर साल की सर्दी से ज्यादा इस बार की सर्दी दुनिया के कई वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा रही है। आशंका यह जताई जा रही है कि ठंडी हवाओं के साथ बदलते मौसम की वजह से कोरोना वायरस तेजी से फैल सकता है। कई वैज्ञानिकों को आशंका है कि सर्दी में दुनिया को कोरोना वायरस की एक और लहर का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले से ज्यादा खतरनाक हो सकती है। 

 

 

कोरोना वायरस के शुरुआती दौर में इसके गर्मी के मौसम में असर कम होने या खत्म होने के तर्क दिए जा रहे थे, लेकिन दिनों-दिन वायरस संक्रमण बढ़ता ही रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाणों के अभाव में भले ही यह बात कह चुका है कि सर्दी का मौसम कोराना वायरस के लिए बेअसर है, लेकिन कोरोना पर घटते तापमान को लेकर अध्ययन जारी है। वहीं, सर्दी के मौसम में कोरोना के असर को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता भी जायज है। 

 

 

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस गर्मियों में भी अधिक सक्रिय रहा। दुनिया के कई देशों में ठंड के मौसम में इन्फ्लूएंजा के मामले सामान्य रहते हैं, जबकि भारत और ऐसे ही सामान्य जलवायु वाले क्षेत्रों में सर्दियों का मौसम कुछ ही महीनों का रहता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इनवॉयरमेंटल हेल्थ साइंसेज डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर मिकेला मार्टिनेज का मानना है कि संक्रामक रोगों के ग्राफ में सालभर उतार-चढ़ाव आता रहता है। 

 

मिकेला मार्टिनेज बदलते मौसम के साथ किसी वायरस के स्वरूप में आने वाले बदलावों का वैज्ञानिक अध्ययन करती हैं। उनका कहना है कि इंसानों में होने वाले हर संक्रामक रोग का एक खास मौसम होता है। जैसे सर्दियों में फ्लू और कॉमन-कोल्ड होता है, उसी तरह गर्मियों में पीलिया और वसंत के मौसम में मीजल्स और चिकन-पॉक्स फैलता है। सार्स कोव-2 वायरस ने भी अपने कोरोना परिवार के अन्य वायरस की तरह बर्ताव किया तो संभावना है कि इसका संक्रमण भी सर्दी में बढ़ेगा।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के डीन डॉ. शशांक जोशी का मानना है कि ठंडे तापमान में वायरस से लोगों को सांस संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। उन्होंने फ्लू के वायरस का उदाहरण देते हुए कहा कि सर्दियों में यह मौत का कारण भी बनता है। यह माना जाता है कि दुनिया के समशीतोष्ण भौगोलिक क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान कोरोनो वायरस का प्रसार अधिक रह सकता है। हालांकि उष्णकटिबंधीय भौगोलिक क्षेत्रों के संबंध मे ऐसा कोई तर्क नहीं है।

 

न्यूयॉर्क टाइम्स में हेल्थ एंड साइंस जर्नलिस्ट कैथरीन वू सर्दी में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने की आशंका पर चिंता जताते हुए, इलाज के मौजूदा तरीकों और उसमें इस्तेमाल होने वाली दवाओं की ओर ध्यान देने की बात कहती हैं। वह इम्यूनिटी बनाए रखने और इसे बढ़ाने के तरीकों को अपनाने पर जोर देती हैं। सर्दी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर काबू पाने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और बेहतर तरीके से करना जरूरी होगा।

 

पश्चिमी देशो में कड़ाके की ठंड पड़ती है और लोग घरों से बाहर बहुत कम निकलते हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि इन देशों में सर्दी के मौसम में वायरस का सावर्जनिक प्रसार कम हो जाएगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पूर्व उप-निदेशक और विषाणु वैज्ञानिक डॉ एमएस. चड्ढा के मुताबिक, यह तर्क भारत की जलवायु के संदर्भ में सटीक नहीं है। उनका कहना है कि उत्तर भारत में लोग ठंड में धूप के लिए बाहर निकलते हैं। घर के अंदर रहने की स्थिति में वेंटिलेटर्स का होना भी जरूरी है। 

 

ठंड के मौसम में सर्दी, खांसी वगैरह होना आम बात है। वहीं, इन्फ्लूएंजा भी सर्दियों में फैलने वाली एक वायरल बीमारी है। हालांकि छह ऋतुओं वाले देश भारत में ऐसा नहीं है। कोरोना वायरस के संदर्भ में विशेषज्ञों की राय एक नहीं है। कुछ का मानना है कि खासकर उत्तर भारत में सर्दियों में कोरोना संक्रमण का एक और चरण शुरू हो सकता है। ज्यादातर विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि ठंड के दिनों में कोरोना ज्यादा परेशान कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले ठंड की अपेक्षा अब हमारे पास लड़ने का अनुभव है। इसलिए तमाम दिक्कतों के बावजूद, सर्दियों में भी कोरोना से निपटा जा सकता है, जरूरत है तो गलतियों से सबक सीखने की और तमाम एहतियात बरतने की। 

 

 

Comments are closed.