35 किसान संगठनों का फैसला, तीन नवंबर को देशभर में होगा चक्का जाम

सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक सभी राष्ट्रीय राजमार्ग किए जाएंगे जाम

कुरुक्षेत्र में आयोजित बैठक में आठ राज्यों के 35 किसान संगठनों का फैसला 

 

 

न्यूज़ डेस्क : कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन तीन नवंबर को देशभर में चक्का जाम करेंगे। यह फैसला गुरुवार को कुरुक्षेत्र की कंबोज धर्मशाला में आयोजित राष्ट्र स्तरीय बैठक में आठ राज्यों से पहुंचे 35 किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से लिया है। फैसले के अनुसार तीन नवंबर को देशभर के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक जाम किए जाएंगे। इतना ही नहीं आज पंजाब में किसान संगठन एक बैठक कर अगली राष्ट्र स्तरीय बैठक की रूपरेखा तैयार करेंगे।

 

 

बैठक की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढू़नी ने की। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए बैठक में हरियाणा समेत दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र से करीब 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधि एक मंच पर जुटे।

 

सुबह 11 बजे शुरू हुई महापंचायत में दोपहर दो बजे तक अलग-अलग राज्यों से आए किसान नेताओं ने मंच पर अपने विचार रखे। इस दौरान सभी ने कृषि कानून के खिलाफ एकजुटता दिखाने पर जोर दिया। उसके बाद साढ़े तीन बजे संगठनों के मुख्य प्रतिनिधियों की बंद कमरे में बैठक हुई। बैठक से बाहर आकर पूर्व विधायक और राष्ट्रीय किसान मजदूर यूनियन और अखिल भारतीय किसान संघर्ष के कंवीनर सरदार वीएम सिंह ने बताया कि सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से तीन नवंबर को चक्काजाम करने का निर्णय लिया है। 

 

 

तीन कानून गुलामी के वारंट: चढ़ूनी

वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढू़नी ने कहा कि तीनों कानून देश की गुलामी के वारंट हैं। खेती के डेथ वारंट हैं। इससे मंडियां 100 प्रतिशत खत्म होंगी, इससे एमएसपी 100 प्रतिशत खत्म होगा और देश में चंद लोगों का जो ढांचा खड़ा होने जा रहा है, वे पूरे देश का आटा, दाल, खाद्य तेल, आलू, प्याज स्टॉक करेंगे। 

 

चंद व्यापारी पूरे देश का माल खरीदेंगे और फिर पूरा देश उनसे मोल लेकर खाएगा, यानी पूरा देश उनका ग्राहक होगा। छोटे व्यापारी खत्म होंगे, आढ़ती खत्म होंगे, खेती तबाह होगी। चढू़नी ने कहा कि लोग कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग की बात करते हैं। गुजरात के किसानों ने कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग से आलू बोया, सारा आलू तो कंपनी को दे दिया लेकिन अगले साल के लिए बीज रख लिया। चार करोड़ का मुकदमा उन पर दर्ज किया गया। यानी पूरी तरह कंपनियों का गुलाम बनाया जा रहा है। 

 

 

बैठक में पंजाब से रमनदीप मान, राजस्थान से किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल, मध्यप्रदेश से किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सुनीलम, उत्तर प्रदेश से भाकियू लोकतांत्रित के प्रदेशाध्यक्ष राकेश चौहान, दिल्ली से किसान कामगार महासभा संयोजक विरेंद्र सिंह, मध्य प्रदेश से किसान जागृति संगठन के महासचिव राजकुमार, किसान सेल प्रधान सिरसा गुरदास सिंह, जसबीर सिंह भाटी सिरसा, राजकुमार महासचिव, किसान जागृति संगठन, सुरेंद्र सिंह, अशोक दनौदा, भाकियू के युवा प्रधान अमरीक सिंह ढांसा, अखिल भारतीय किसान के राज्य अध्यक्ष गुरभजन सिंह, संदीप गिडे पुणे, उत्तर प्रदेश से किसान अधिकार आंदोलन के संयोजक नरेंद्र राणा मौजूद रहे

 

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