न्यूज़ डेस्क : कोविड-19 महामारी के कारण देश में 65 फीसदी लोगों की आय प्रभावित हुई है, जबकि 16 फीसदी की कमाई पूरी तरह खत्म हो गई है। इसका खुलासा पैसाबाजार के सर्वे में हुआ है। इसके मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में 70 फीसदी लोगों की कमाई पर असर पड़ा है, जबकि 16 फीसदी की कमाई पूरी तरह खत्म हो गई है। बंगलूरू के 67 फीसदी लोगों ने माना कि महामारी के कारण उनकी कमाई घटी है, जबकि 12 फीसदी की कमाई पूरी तरह खत्म हो गई है। हैदराबाद में यह आंकड़ा क्रमश: 63 फीसदी एवं 20 फीसदी, मुंबई में क्रमश: 63 फीसदी एवं 26 फीसदी और चेन्नई में क्रमश: 52 फीसदी एवं 9 फीसदी है। सर्वे 37 शहरों के 8,616 लोगों से बातचीत पर आधारित है, जिन पर एक लाख रुपये से ज्यादा कर्ज है।
आय प्रभावित पर ईएमआई चुकाने में सक्षम
शहर लोगों की संख्या
चेन्नई 66 फीसदी
हैदराबाद 55 फीसदी
दिल्ली-एनसीआर 53 फीसदी
बंगलूरू 49 फीसदी
मुंबई 48 फीसदी
56 फीसदी ने चुना मोरेटोरियम
सर्वे के मुताबिक, 56 फीसदी उत्तरदाताओं ने लोन/क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के लिए मोरेटोरियम का विकल्प चुना। इनमें 23 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनकी आय पर लॉकडाउन का कोई असर नहीं रहा। नौकरीपेशा के मामले में 53 फीसदी ने यह विकल्प चुना, जबकि स्व-रोजगार करने वाले 68 फीसदी लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया। वहीं, 44 फीसदी उत्तरदाताओं ने मोरेटोरियम का लाभ नहीं लिया। इनमें 22 फीसदी ऐसे हैं, जिनकी कमाई लॉकडाउन के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।
कर्ज पुनर्गठन चाहते हैं आधे से ज्यादा
सर्वे में शामिल 55 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे कर्ज पुनगर्ठन के लिए अपने बैंक/एनबीएफसी से संपर्क करना चाहते हैं। इनमें ऐसे लोग भी हैं, जिनकी कमाई पर कोई असर नहीं पड़ा है। जिन लोगों ने पहले ही मोरेटोरियम का लाभ उठाया है, उनमें से 70 फीसदी अपने कर्ज का पुनर्गठन कराना चाहते हैं।
कोरोना से पूर्व स्तर पर पहुंचने में लगेगा समय
पैसाबाजार के सीईओ एवं सह-संस्थापक नवीन कुकरेजा का कहना है कि देश में मार्च से ही कोरोना का असर दिखने लगा था। हालांकि, पिछले कुछ महीनों से कई क्षेत्रों में सुधार दिखना शुरू हो गया है। इसके बावजूद कोरोना से पूर्व की स्थिति में पहुंचने में काफी वक्त लगेगा। उन्होंने कहा, अगर अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहा और लोगों की कमाई बढ़ी तो कर्ज आपूर्ति के कोरोना के पूर्व स्तर पर पहुंचने में 7-9 महीने लग सकते हैं।
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