न्यूज़ डेस्क : चुनाव आयोग ने मंगलवार को मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और उत्तरप्रदेश समेत 10 राज्यों की 54 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होगा। वहीं, बिहार की एक लोकसभा सीट और मणिपुर की दो विधानसभा सीटों पर सात नवंबर को वोट डाले जाएंगे। सभी सीटों के नतीजे बिहार चुनाव 2020 के नतीजों के साथ 10 नवंबर को ही आएंगे। चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है।
मध्यप्रदेश में जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें ग्वालियर, डबरा, बमोरी, सुरखी, सांची, सांवेर, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर पूर्व, भांडेर, करैरा, पोहरी, अशोकनगर, मुंगावली, अनूपपुर, हाटपिपल्या, बदनावर, सुवासरा, बड़ामलहरा, नेपानगर, मंधाता, जोरा, आगर, ब्यावरा शामिल हैं।
उपचुनाव के लिए तय कार्यक्रम
अधिसूचना नौ अक्तूबर (शुक्रवार)
नामांकन 16 अक्तूबर (शुक्रवार)
स्क्रूटनी 17 अक्तूबर (शनिवार)
नाम वापसी की आखिरी तारीख 19 अक्तूबर (सोमवार)
मतदान की तारीख तीन नवंबर (मंगलवार)
चुनाव परिणाम 10 नवंबर (मंगलवार)
चुनाव आयोग के मुताबिक एक जनवरी 2020 की मतदाता सूची के आधार पर चुनाव कराए जाएंगे। मतदाताओं को आधार कार्ड, मनरेगा का जॉब कार्ड, पैन कार्ड, बैंक या पोस्ट ऑफिस की पासबुक, हेल्थ इंश्योरेंस के स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट सहित अन्य दस्तावेजों के आधार पर मतदान करने की अनुमति होगी।
80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति के लिए डाक मतपत्र की सुविधा
इस बार 80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को डाक मतपत्र की सुविधा दी जाएगी। ऐसे मतदाता अपने घर से ही मतदान कर सकेंगे। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित और संदिग्ध को भी डाक मतपत्र दिया जाएगा। मतदानकर्मी, ऐसे मतदाताओं के घर जाकर डाक मतपत्र लेकर आएंगे। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
क्यों आई उपचुनाव की स्थिति?
बता दें कि मध्यप्रदेश में उपचुनाव करीब छह महीने पहले हुई राजनीतिक फेरबदल की वजह से हो रही है। मार्च महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई थी। भाजपा की सरकार बनने के बाद तीन और विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं, तीन अन्य सीटें विधायकों के निधन से खाली हुई हैं।
इस उपचुनाव में भाजपा अपनी सत्ता बचाने और कांग्रेस नेता कमलनाथ छह महीने पहले खोई सत्ता वापस पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है, क्योंकि जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें 16 सीटें सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की हैं।
28 विधानसभा सीटों में से 27 पर पहले कांग्रेस का था कब्जा
जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 27 सीटों पर पहले कांग्रेस का कब्जा था। प्रदेश में 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में बहुमत के लिए 116 सीटें होना जरूरी हैं। अगर भाजपा उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसकी सरकार और मजबूत होगी। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश है कि वह 20 या उससे ज्यादा सीटें जीत लें। अगर ऐसा करने में कांग्रेस कामयाब रहती है तो प्रदेश में सत्ता वापसी कर सकती है।
मध्यप्रदेश विधानसभा की मौजूदा स्थिति
भाजपा 107
कांग्रेस 88
बसपा 2
सपा 1
निर्दलीय 4
खाली सीटें 28
कुल सीटें 230
2018 में हुए चुनाव के बाद विधानसभा की स्थिति
कांग्रेस 114
भाजपा 109
बसपा 2
निर्दलीय 4
सपा 1
कुल सीटें 230
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