न्यूज़ डेस्क : पिछले हफ्ते अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 35.3 करोड़ डॉलर घटकर 541.66 अरब डॉलर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में यह बात सामने आई है।
इसलिए आई गिरावट : इससे पहले चार सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 58.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 542.01 अरब डॉलर रहा था। समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट आना है। यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम अंग होता है। इस दौरान एफसीए 84.1 करोड़ डॉलर घटकर 497.52 अरब डॉलर रह गया। डॉलर में दर्शाए गए एफसीए की कमी में यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य वैश्विक मुद्राओं का उतार-चढ़ाव भी शामिल है।
49.9 करोड़ डॉलर बढ़ा स्वर्ण भंडार
समीक्षाधीन सप्ताह में देश का कुल स्वर्ण भंडार 49.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.02 अरब डॉलर हो गया। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिला विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10 लाख डॉलर घटकर 1.482 अरब डॉलर हो गया। मुद्रा कोष के पास जमा देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.637 अरब डॉलर रहा।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का बुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
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