न्यूज़ डेस्क : बैंकों पर एनपीए और खराब खर्च का बोझ घटाने के लिए आरबीआई ने कई बदलाव करने का निर्देश दिया है। रिजर्व बैंक ने सोमवार को नोटिफिकेशन जारी कर 30 जून, 2021 तक प्रोविजन या जोखिम वाले कर्ज की पहचान के लिए डिजिटल तंत्र बनाने को कहा है। निर्देश के तहत कर्ज और लेनदेन के आंकड़ों सहित कई क्षेत्रों में कामकाज सुधारना होगा। आइए जानते हैं क्या हैं ये 10 बड़े बदलाव, जिन्हें आपको जानना बेहद जरूरी हैं…
पहला बदलाव
जोखिम वाली संपत्तियों (एनपीए) की पहचान और वर्गीकरण के लिए सभी तरह के कर्जदारों के खाते आईटी-सिस्टम से जुड़े होने चाहिए। इसमें अस्थायी ओवरड्राफ्ट सुविधा लेने वाले खाताधारक और क्षेत्र व उनकी कर्ज लिमिट भी शामिल हो।
दूसरा बदलाव
सिस्टम में संपत्ति वर्गीकरण के नियमों को लागू किया जाए, ताकि नियामकीय निर्देशों का पालन किया जा सके।
तीसरा बदलाव
एनपीए की गणना के लिए भी विभिन्न संपत्तियों का आकलन सिस्टम आधारित डाटा पर किया जाएगा। समय-समय पर जारी किए गए नियमों को भी ऑटोमेटिक रूट से लागू करना होगा।
चौथा बदलाव
एनपीए की भरपाई के लिए आय के खाते से रकम चाहिए, तो बिना मानवीय हस्तक्षेप के सिस्टम आधारित प्रणाली द्वारा ट्रांसफर किया जाएगा।
पांचवां बदलाव
बैंकों का ऑटोमेटिक तकनीकी सिस्टम बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के खाते में आई गिरावट और तेजी दोनों का मूल्यांकन करेगा। इससे किसी खाते की मजबूती और कमजोरी का पता चलेगा, जो एनपीए की जल्द पहचान में मददगार होगा।
छठवां बदलाव
बैंकों को संपत्ति वर्गीकरण के आंकड़े प्रतिदिन अपडेट करने होंगे और किसी भी समय मांगे गए एनपीए से जुड़े बिंदुवार आंकड़े को वास्तविक तिथि के साथ पेश करना होगा।
सातवां बदलाव
विशेष परिस्थितियों में किसी खाते को दी गई न्यूनतम और अस्थायी रियायत भी सिस्टम के जरिये ही लागू करनी होगी।
आठवां बदलाव
अगर किसी असाधारण परिस्थिति में सिस्टम वर्गीकरण को ओवरराइड करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप जरूरी होता है, तो इसे लागू करने के लिए कम से कम दो स्तरों पर जांच-प्रक्रिया बनानी होगी।
नौवां बदलाव
किसी भी आपात परिस्थिति के लिए बैंक इन सूचनाओं का कम से कम तीन साल के लिए अकाउंट बनाकर रखेंगे और इस दौरान किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
दसवां बदलाव
बैंक प्रोविजनिंग और एनपीए से जुड़े सभी आंकड़े सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम के साथ साझा करेंगे और जरूरत पर वहां से आंकड़े जुटा भी सकेंगे।
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