न्यूज़ डेस्क : आरबीआई की योजना के तहत बैंक और गैंर-बैंकिंग कर्जदाता 10 लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज का पुनर्गठन कर सकते हैं। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बुधवार को कहा कि यह रकम कुल कर्ज का 8 फीसदी हो सकता है।
आरबीआई ने हाल ही में केवी कामथ की सिफारिशों को मंजूरी दी है। इसके तहत पांच मानकों पर कोरोना से प्रभावित 26 क्षेत्रों को कर्ज पुनर्गठन का लाभ दिया जाएगा। रेटिंग एजेंसी के प्रमुख (क्रेडिट पॉलिसी) जितिन मक्कड़ ने बुधवार को कहा, हमें लगता है कि बैंक और गैंर-बैंकिंग कर्जदाता कुल कर्ज के 5-8 फीसदी हिस्से का पुनर्गठन कर सकते हैं। मूल्यों में बात करें तो यह रकम 6 लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है।
उन्होंने कहा कि अगस्त में खत्म मोरेटोरियम सुविधा के कारण जोखिम वाले वैसे कर्ज में 20-25 फीसदी की कमी आई है, जिनका पुनर्गठन होना है। बैंकों के पास 100 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि गैर-बैंकिंग कर्जदाताओं के पास 35 लाख करोड़ की संपत्ति है।
एनपीए में आ सकती है कमी
इक्रा का कहना है कि कर्ज पुनर्गठन के लिए जो पांच मानक तय किए गए हैं, उनमें ऋण सेवा कवरेज अनुपात और औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात भी शामिल हैं। इन मानकों के कारण कपड़ा, विनिर्माण, व्यापार और लौह धातु जैसे क्षेत्रों को कर्ज पुनर्गठन सुविधा का लाभ लेने में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि, कुल मिलाकर केंद्रीय बैंक की इस योजना में एनपीए में कमी आ सकती है।
सिर्फ खुदरा क्षेत्र पर ही ध्यान न दें बैंक, प्रभावित होगा कर्ज: एसबीआई
एसबीआई का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण अर्थव्यवस्था जब चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे समय में बैंकों को सिर्फ खुदरा क्षेत्र पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। इससे कर्ज की श्रेणियां प्रभावित होंगी क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बावजूद खुदरा क्षेत्र में सुधार की गति धीमी है।
एसबीआई एमडी अरिजित बासु ने एक कार्यक्रम में कहा, अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। विश्लेषकों का मानना है कि 2020-21 के दौरान अर्थव्यवस्था में दोहरे अंकों में गिरावट आ सकती है।
ऐसे में पूरी तरह सिर्फ खुदरा क्षेत्र पर ही ध्यान देना बेहतर विकल्प नहीं है क्योंकि अगर अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटती है तो इसका प्रभाव खुदरा क्षेत्र पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा, विभिन्न श्रेणी के कर्जधारकों को ऋण देने के लिए बैंकों के दृष्टिकोण में बदलाव हो सकते हैं।
अगर एमएसएमई के कर्ज की बात करें तो इसमें ‘कैश फ्लो बजटिंग’ की भूमिका अहम होगी। कृषि कर्ज के लिए अधिकांश बैंक किसानों की जरूरतों को समझने और उन्हें बाजार से जोड़ने के लिए तकनीक विकास की मदद ले रहे हैं।
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