न्यूज़ डेस्क : पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। हाल ही में हांगकांग में कोरोना से दोबारा संक्रमण का एक मामला सामने आया है। एक युवक कोरोना के संक्रमण से ठीक हो चुका था और उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी भी बन चुकी थी, लेकिन वह दोबारा संक्रमित हो गया। कहा जा रहा है कि उसके शरीर में बनी एंटीबॉडी साढ़े चार महीने में ही खत्म हो गई। ऐसे में यह सवाल गहरा गया है कि आखिर कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने के बाद शरीर में कितने दिन तक एंटीबॉडी बनी रहती है? कुछ जानकारों का कहना है कि एंटीबॉडी महज 50 दिन के आसपास ही शरीर में बनी रहती है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों की राय इससे अलग है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी ताजा रिसर्च क्या कहती है…
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई के जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में एंटीबॉडी से संबंधित रिसर्च हुई थी, जिसमें अस्पताल के कुछ कर्मचारियों को भी शामिल किया था, जो कोरोना वायरस से ठीक हो चुके थे। इस रिसर्च के प्रमुख डॉ निशांत कुमार का कहना है कि कुछ लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया, लेकिन उनमें से किसी में भी एंटीबॉडी नजर नहीं आई।
शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि जो लोग तीन से पांच हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनमें से 90 फीसदी लोगों में महज 38.8 फीसदी ही एंटीबॉडी बची थी। इससे इस नतीजे पर पहुंचा गया कि समय के साथ कोरोना के खिलाफ बनी एंटीबॉडी भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। दुनियाभर में हुए कुछ सर्वे के मुताबिक, संक्रमण के तीन हफ्ते बाद शरीर में सबसे ज्यादा एंटीबॉडीज होती हैं, लेकिन ये जल्दी ही खत्म भी हो जाती हैं।
क्या है एंटीबॉडी?
शरीर में वायरस से लड़ने और उसे बेअसर करने के लिए हमारा प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्यून सिस्टम जिस तत्व का निर्माण करता है, उसे एंटीबॉडी कहते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडीज के बनने में कई बार एक से दो हफ्ते तक का वक्त भी लग सकता है।
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