भारत को आय बढ़ाने की संभानाओं के लिए 8-8.5 फीसदी सालाना विकास दर की होगी जरूरत : मैकेंजी

न्यूज़ डेस्क : कोविड-19 महामारी खत्म होने के बाद आय की संभावनाएं बढ़ाने और जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए भारत को 8-8.5 फीसदी सालाना विकास दर की जरूरत होगी। वैश्विक वित्तीय सलाहकार संस्था मैकेंजी ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में भारत को सुझाव दिया है कि वृद्धि दर बढ़ाने के लिए तत्काल सुधार करने होंगे, जो अगले 18 महीने तक जारी रखना जरूरी है।

 

 

मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एमजीआई) ने कहा कि उत्पादकता और रोजगार के अवसर बढ़ाने का लगातार सुधार ही एकमात्र जरिया है। भारत में जिस तरह शहरीकरण और जनसंख्या बढ़ रही है, 2030 तक 9 करोड़ गैर-कृषि कामगारों को रोजगार की तलाश होगी। इसके लिए भारत को सालाना 1.2 करोड़ गैर-कृषि रोजगार का सृजन करना होगा, जो 2013 से 2018 के बीच किए गए 40 लाख सालाना रोजगार का तीन गुना है।

 

 

चालू वित्तवर्ष में अर्थव्यवस्था का आकार 5 फीसदी घट जाएगा। ऐसे में अवसर और संभावनाएं पैदा करने के लिए 8-8.5 फीसदी सालाना विकास दर की जरूरत होगी। अगर इस लक्ष्य को नहीं प्राप्त किया गया तो भारत के सामने और मुश्किलें पैदा होंगी। वृद्धि को बढ़ाने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो भारत में आय का स्तर 10 साल पीछे चला जाएगा और जीवन गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ेगा।

 

 

पांच क्षेत्रों की सबसे बड़ी भूमिका

एमजीआई ने कहा है कि भारत को सुधार के लिए पांच क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा जोर देना होगा। विनिर्माण, रियल एस्टेट, कृषि, स्वास्थ्य और खुदरा क्षेत्र कीमतों को 25 फीसदी तक नीचे ला सकते हैं। श्रम बाजार को भी ज्यादा लचीला बनाने की जरूरत है। साथ ही ऊर्जा वितरण को और प्रभावी बनाने व टैरिफ को 20 फीसदी तक सस्ता करने के साथ 30 शीर्ष सरकारी कंपनियों के निजीकरण की भी जरूरत है।

 

व्यापक सुधारों और राजकोषीय संसाधनों को व्यवस्थित करने से भारत को 24 खरब डॉलर का निवेश प्राप्त हो सकता है, जो कंपनियों की लागत को 3.5 फीसदी घटा देगा। रिपोर्ट में फंसी संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बैड बैंक बनाने की सलाह भी दी गई है।

 

राज्यों को 60 फीसदी व केंद्र को 40 फीसदी सुधार करने होंगे

मैकेंजी ने कहा है कि सुधारों में राज्यों की भागीदारी 60 फीसदी व केंद्र की 40 फीसदी होनी चाहिए। विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि व रोजगार सृजन की सबसे ज्यादा क्षमता है। सभी क्षेत्रों को मिलाकर 43 ऐसे कारोबारी क्षेत्र हैं, जो 2030 तक अर्थव्यवस्था में 25 खरब डॉलर का इजाफा करने के साथ कुल गैर-कृषि रोजगार का 30 फीसदी सृजन भी कर सकते हैं।

 

हालांकि, इसके लिए भारत को 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा राजस्व वाली कंपनियों की संख्या तीन गुना तक बढ़ानी होगी।

 

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