अब आवाज के जरिए होगी कोरोना संक्रमण की जांच

न्यूज़ डेस्क : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई मे वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। इस कड़ी में अब आवाज के जरिए कोरोना संक्रमण की जांच का प्रयोग शुरू होने जा रहा है जो बताएगा कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। आगामी एक सितंबर से मुंबई के नेस्कों कोविड सेंटर में आवाज की जांच यानि वॉइस टेस्टिंग शुरू की जाएगी जिससे मात्र 30 सेकंड में पता लगाया जा सकेगा कि व्यक्ति करोना पॉजिटिव है या निगेटिव।

 

 

मुंबई पश्चिमी उपनगर के गोरेगांव के नेस्को कोविड सेंटर की डीन डॉ. नीलम अंद्राडे ने बताया कि आवाज से कोरोना की जांच एक सितंबर से शुरू होगी। आवाज से कोरोना संक्रमण की जांच करने वाली वॉइस बायोमार्कर्स मशीन नेस्को सेंटर में उपलब्ध है। इस मशीन के जरिए संदिग्ध व्यक्ति के आवाज की जांच की जाएगी। लेकिन वॉइस जांच के बाद भी आरटी-पीसीआर जांच जारी रहेगी।

 

 

डॉ. नीलम ने बताया कि वॉयस बायोमार्कर्स मशीन से कोविड सेंटर में आने वाले संक्रमितों की तीन बार जांच होगी। पहले दिन, तीसरे दिन और डिस्चार्ज के दिन मरीज के आवाज की जांच की जाएगी। नेस्को कोविड सेंटर में 2 हजार मरीजों के उपचार की सुविधा है। लेकिन अभी यहां 411 मरीजों का उपचार हो रहा है। डॉ. नीलम ने बताया कि मुंबई में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने से प्रतिदिन यहां 30 से 40 मरीज भर्ती हो रहे हैं।

 

 

बीएमसी और इज्राइल की कंपनी से हुआ है करार

आवाज से कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए इजराईल की कंपनी वैकेलिस हेल्थकेयर और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के बीच इसी महीने की दूसरे सप्ताह में एमओयू साइन हुआ था। डॉ. नीलम ने बताया कि कोरोना की जांच के लिए स्वैब टेस्टिंग, एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट कर रही है लेकिन वॉइस टेस्टिंग के जरिए व्यक्ति के आवाज की ध्वनि तरंगों के माध्यम से व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव होने की जांच की जाएगी।

 

बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकाणी ने कहा कि अमेरिका और इजराइल में वॉइस टेस्टिंग का प्रोयग किया जा चुका है। जब किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई देता है तो उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह सभी प्रक्रियाएं फेफड़ों की मांसपेशियां को प्रभावित करती हैं। मांसपेशियों में सूजन आने से मरीज की आवाज बदल जाती है। इस दौरान वॉइस बायोमेकर्स जल्दी और आसानी से पता लगा सकती है कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं। 

 

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