कोरोना असर : बुनियादी ढांचा क्षेत्र के आठ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन जून में 15 प्रतिशत घटा

न्यूज़ डेस्क : कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, इस्पात, सीमेंट और बिजली उद्योग के कमजोर प्रदर्शन के चलते बुनियादी ढांचा क्षेत्र के आठ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन जून में 15 प्रतिशत घटा है। इस सूचकांक में लगातार चार महीने से गिरावट देखने को मिल रही है।

 

 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए आंकड़ों के मुताबिक आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र पिछले साल जून में 1.2 प्रतिशत की दर से बढ़े थे। आंकड़ों के मुताबिक मई 2020 में उर्वरक को छोड़कर सभी सात क्षेत्रों – कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट, और बिजली में मई में नकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई थी।

 

समीक्षाधीन अवधि में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में क्रमश: 15.5 प्रतिशत, छह प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 8.9 प्रतिशत, 33.8 प्रतिशत, 6.9 प्रतिशत और 11 प्रतिशत की गिरावट आई।

 

 

आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2020 के दौरान उत्पादन 24.6 प्रतिशत घटा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में उत्पादन में 3.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। देश के सकल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में इन आठ उद्योगों की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है।

 

औद्योगिक श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति जून में घटकर 5.06 प्रतिशत रही

औद्योगिक श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जून में कम होकर 5.09 प्रतिशत पर आ गई। एक साल पहले इसी महीने में यह 8.59 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण कुछ खाद्य पदार्थों और मिट्टी के तेल की कीमतों का कम रहना है। श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि मई 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.10 प्रतिशत रही थी।

 

जून 2020 में खाद्य मुद्रास्फीति 5.49 प्रतिशत पर रही जो पिछले महीने में 5.88 प्रतिशत और एक साल पहले जून के दौरान 5.47 प्रतिशत थी। औद्योगिक श्रमिकों के लिये खुदरा मुद्रास्फीति को औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) के आधार पर आंका जाता है। यह सूचकांक जून 2020 में दो अंक बढ़कर 332 अंक पर पहुंच गया।

 

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि जून 2020 के लिए अखिल भारतीय सूचकांक पिछले महीने के दो अंकों की वृद्धि के साथ 332 पर रहा। हालांकि, वार्षिक मुद्रास्फीति की दर पिछले महीने के 5.10 प्रतिशत और साल भर पहले के 8.55 प्रतिशत से कम होकर 5.06 प्रतिशत रह गई। 

 

श्रम मंत्री ने औद्योगिक कर्मचारियों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का महत्व बताते हुए कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सरकारी कर्मचारियों के साथ साथ संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ता की गणना करने में भी इस्तेमाल होता है।

 

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