मेक इन इंडिया को मजबूत आधार देगा मोदी का यह फैसला

न्यूज़ डेस्क : टेलीकॉम इक्विपमेंट मैनुफैक्चरर एसोसिएशन (टीईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस फैसले की सराहना की है, जिसके अंतर्गत चीनी एप पर प्रतिबंध लगाया गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि शर्मा के अनुसार, मोदी सरकार की पब्लिक प्रोक्योरमेंट प्रेफरेंस नीति, जिसके तहत राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से सार्वजनिक खरीद के नियमों में बदलाव किया गया है, वह बेहद कारगर साबित होगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि चीन के बाकी बचे एप पर भी प्रतिबंध लगाया जाए।

 

बता दें कि मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन देने के लिए मोदी सरकार ने सार्वजनिक खरीद में स्थानीय उत्पादों को ज्यादा वरीयता देने के लिए अपने खरीद नियमों में कई बदलाव किए हैं। सरकार अब, उन कंपनियों को प्राथमिकता देगी, जिनके माल और सेवाओं में स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल 50 प्रतिशत से अधिक होगा। राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मोदी सरकार का यह विशेष प्रयास है। 

 

 

संशोधित सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश-2017 में श्रेणी-1, श्रेणी-2 और गैर-स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं का वर्गीकरण पेश किया गया है। इसी आधार पर उन्हें सरकार की ओर से माल एवं सेवाओं की खरीद में वरीयता दी जाएगी। श्रेणी-1 के स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को सरकारी खरीद में वरीयता मिलेगी। वजह इनके उत्पादों में स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा हुआ है। श्रेणी-2 में ऐसे आपूर्तिकर्ता शामिल होंगे, जिनके उत्पादों में स्थानीय सामग्री का प्रतिशत 20 से अधिक होगा, लेकिन 50 फीसदी से कम होगा। खास बात है कि उत्पादों के निर्माण में बीस प्रतिशत से कम स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल वाले या सेवाएं देने वाली कंपनियों को गैर-स्थानीय आपूर्तिकर्ता की श्रेणी में रखा गया है। ये कंपनियां सरकारी खरीद की निविदाओं में भाग नहीं ले सकती। इन्हें सरकारी खरीद की वैश्विक निविदाओं में प्रतिभागी बनने की अनुमति मिलेगी। यह नियम भी बनाया गया है कि 200 करोड़ रुपये से कम की खरीद में वैश्विक निविदा की अनुमति नहीं दी जाएगी।

 

 

एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि शर्मा एवं उपाध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने कहा, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक खरीद में स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक वरीयता देने के लिए सरकार ने अपने खरीद नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इससे उन कंपनियों को प्राथमिकता मिलेगी, जिनके माल और सेवाओं में 50 प्रतिशत से अधिक स्थानीय सामग्रियों का उपयोग होता है। 

 

सरकार द्वारा अब सभी खरीद में सीमावर्ती देशों से ‘जीएफआर’ के तहत बोली लगाने वालों के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है, एसोसिएशन इसका समर्थन करती है। टीईएमए ने सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है, जिसमें कहा गया है कि अब घरेलू फर्म को, कीमत और गुणवत्ता दोनों के मामले में प्रतिस्पर्धी बनाया जाएगा। सीमावर्ती देशों, जिनमें चीनी कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियां भी शामिल हैं, उनके लिए स्वचालित एफडीआई मार्ग को रोकने की भारत सरकार की कार्रवाई राष्ट्र की आर्थिक संप्रभुता को बनाए रखने में मदद करेगी। 

 

सरकार ने टेलीग्राफ नियमों में संशोधन कर दूरसंचार उत्पादों के लिए अलग से अनिवार्य परीक्षण को भी वैध कर दिया है।व्यय विभाग (डीओई) ने अनुच्छेद 257 (1) के तहत राज्य सरकारों को इन नियमों का अनुपालन करने के लिए कहा है। इससे यह सुनिश्चित हो गया है कि अब सभी निविदाओं में इन नियमों का पालन होगा। जहां अभी तकनीकी बोलियों का मूल्यांकन किया जाना है, लेकिन अंतिम रूप से कोई फैसला नहीं हुआ है, वहां भी केंद्र सरकार के आदेश माने जाएंगे। सभी नए टेंडरों के लिए ये नियम अनिवार्य कर दिए गए हैं। मौजूदा चीनी निर्माताओं को अनिवार्य तौर पर पंजीकरण कराने की आवश्यकता होगी, यदि वे जीईएम पर उत्पाद बेचना चाहते हैं। यह आदेश सभी मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं जैसे ओप्पो, श्याओमी व ओपो आदि पर भी लागू होगा, जो 100 प्रतिशत एफडीआई आधार पर भारत में असेंबल, निर्माण या परिचालन के कार्य में लगे हैं।

 

एसोसिएशन ने सरकार से अनुरोध किया है कि पीपीपी मेक इन इंडिया के लिए सार्वजनिक खरीद में वरियता का यह नियम निजी क्षेत्र में भी लागू किया जाए।इसमें सभी दूरसंचार ऑपरेटर भी शामिल हों। मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र की भी है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और डेटा गोपनीयता को सुरक्षित करने के लिए भारत सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। सरकार को अब शेष बचे चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने की भी घोषणा करनी चाहिए।

 

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