न्यूज़ डेस्क : गृह मंत्रालय ट्रांसजेंडर्स को अर्धसैनिक बलों में अधिकारी पद और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में लड़ाकू दल में शामिल करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने सीएपीएफ को पत्र लिखकर सुझाव मांगे हैं।
मंत्रालय के मुताबिक सरकार उन्हें यूपीएससी की वार्षिक परीक्षा में हिस्सा लेने की अनुमति मिल सकती है। गृह मंत्रालय ने पांच अर्धसैनिक और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से, इसके पक्ष या विरुद्ध, समयबद्ध सुझाव भी मांगी हैं ताकि संघ लोक सेवा आयोग को बताया जा सके कि वे इस वर्ष के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा के लिए जल्द ही प्रकाशित होने वाली अधिसूचना में ट्रांसजेंडर श्रेणी डालें या नहीं।
सहायक कमांडेंट केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल के पांच सीएपीएफएस में प्रवेश स्तर के अधिकारी रैंक होते हैं। सीएपीएफ के एक वरिष्ठ कमांडर ने बताया कि बलों ने उन ‘चुनौतियों और अवसरों’ पर चर्चा की है जो अधिकारी रैंक में ट्रांसजेंडर के साथ आ सकते हैं।
याद रहे कि 17 मार्च को सामाजिक न्याय मंत्री रतन लाल कटारिया ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए ‘ट्रांसजेंडर पर्सन एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) -2019’ को 10 जनवरी 2020 से लागू किया गया है। उन्होंने कहा इस एक्ट के तहत सरकार इस समुदाय के कल्याण के लिए योजनाएं बनाएगी। आईटीबीपी, बीएसएफ, एसएसबी और सीआरपीएफ गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले बल हैं। देश के अहम क्षेत्रों पर इनकी तैनाती होती है। इन बलों में थर्ड जेंडर के लोगों को शामिल करना उनकी मजबूती की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।
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