न्यूज़ डेस्क : एलएसी पर चल रहे तनाव के बीच भारत आगामी 23 जून को रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ होने वाली आभासी बैठक से दूरी बना सकता है। रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों के बीच 23 जून को वर्चुअल मीटिंग (आभासी बैठक) होनी है।
हालांकि भारत में रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 23 जून को, रूस के आरआईसी के तहत भारत और चीन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुलाकात करेंगे। वे कोविड-19 महामारी के बाद की वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में रुझानों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
सोमवार रात को पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में चीन के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए और कई घायल हो गए। हालांकि चीन को काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि आरआईसी की बैठक में सीमा पर तनाव एजेंडे में नहीं था। मगर हिन्दुस्तान टाइम्स को सूत्रों से पता चला है कि चीन के साथ मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत का इस बैठक में हिस्सा लेने की संभावना बहुत ही कम है।
इस बैठक में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आपसी सहयोग को लेकर बात होनी थी और पिछले हफ्ते ही इसका एजेंडा तय हुआ है। अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति और क्षेत्रों को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट पर भी इस बैठक में बात होनी थी। सूत्रों ने बताया कि पिछले दो दिनों से इसे लेकर बातचीत शुरू हो रही थी और भारत इसमें शायद ही हिस्सा ले। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि रूस अंतिम क्षणों में भारत को बैठक में शामिल होने के लिए मना सकता है।
सूत्रों ने बताया कि मौजूदा स्थिति को लेकर काफी चिंता है लेकिन रूस पर दोनों ही देश भरोसा जताते हैं। ऐसे में सभी के संपर्क में रहना काफी जरूरी है, खासतौर से बहुपक्षीय मुद्दों पर ताकि वैश्विक भरोसे को ज्यादा से ज्यादा जीता जा सके।
रूस के नई दिल्ली और बीजिंग दोनों से ही अच्छे संबंध है। हाल ही में रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने कहा था कि क्षेत्रीय स्थिरता बनाने के लिए सीमा पर तनाव को कम करना बहुत जरूरी है। कुदाशेव ने कहा था कि रूस को भरोसा है कि भारत और चीन का नेतृत्व शांति स्थापित करने की दिशा में काम करेगा।
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