गोकुलदास अस्पताल प्रबंधन पर लगाए आरोप दुर्भावनापूर्ण; हकीकत ये है

इंदौर। शहर के गोकुलदास अस्पताल में 7 मई को हुई 4 मौतों को लेकर सामने आए एक वीडियो के बाद लगातार अस्पताल प्रशासन पर आरोप मढ़े और गढ़े जा रहे हैं। हालांकि इसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है और न ही कोई सच जानने की कोशिश कर रहा है। सिर्फ भावनाओं के आधार पर इस पूरे मामले को देखा जा रहा है। अस्पताल के डॉ. संजय गोकुलदास ने एक विज्ञप्ति में बताया कि जिन चार मरीजों की मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा रहा है जो कि सरासर गलत और दुर्भावनापूण है।

 

 

दरअसल, चारों ही मरीज गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। मरीजों की गंभीर अवस्था की जानकारी समय-समय पर नियमित रूप से हेल्थ कंट्रोल रूम एवं नोडल अधिकारी को भी दी जा रही थी। इतना ही नहीं भर्ती के समय मरीजों की गंभीर स्थिति के बारे में उनके परिजनों को भी स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया गया था।

 

उन्होंने बताया कि कोविड 19 के मद्देनजर किसी भी मरीज के डिस्चार्ज का फैसला प्रशासन द्वारा निर्धारित टीम ही करती है न कि अस्पताल प्रबंधन। अत: अस्पताल को ग्रीन जोन में लाने के लिए लोगों को जल्दी-जल्दी डिस्चार्ज करने के आरोप भी सरासर गलत हैं। जहां तक सेनिटाइजेशन का प्रश्न है, वह एक सामान्य प्रक्रिया है। कोरोना महामारी के बारे में जानने वाला हर व्यक्ति इसकी गंभीरता को समझ सकता है।

 

डॉ. गोकुलदास ने बताया कि उपरोक्त चारों मरीजों को नियमित रूप से चिकित्सकीय टीम द्वारा इलाज एवं मॉनिटरिंग की जा रही थी जिसमें प्रशासन की ओर से डॉ. सुभाष बरोड़, उनके अधीन डॉ. अशोक ठाकुर एवं डॉ. हेमंत के अलावा डॉ. चेतन ऐरन (एमडी) एवं डॉ. बलराज झरबडे (एमडी) भी सम्मिलित थे।

 

प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उन्होंने सभी पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में बताया

  1. सलमा बी (55) 12 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुई थीं। इन्हें डायबिटीज और हाइपरटेंशन की 20 वर्ष से शिकायत थी, इनके फेफड़ों के दोनों हिस्सों में निमोनिया था एवं इंटरस्टिसिअल लंग डिजीज थी। सलमा बी निधन से पहले ऑक्सीजन एवं बाइ पेप वेंटिलेटर सपोर्ट पर थीं। इनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद भी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। इनकी मृत्यु का समय सायं 5.30 बजे है।
  2. इसी तरह आबिदा बी (74) मृत्यु से महज एक दिन पहले 6 मई को अस्पताल में भर्ती हुई थीं। इन्हें हाइपरटेंशन एवं फेफड़ों के दोनों हिस्सों में निमोनिया था। उन्होंने 24 अप्रैल को क्लॉथ मार्केट अस्पताल में भी दिखाया था। 12 दिन बाद 6 मई की रात 12  बजे इन्हें गोकुलदास अस्पताल में गंभीर अवस्था में आईसीयू में भर्ती किया गया। ये भी ऑक्सीजन एवं बाइ पेप वेंटिलेटर सपोर्ट पर थीं। इनकी मृत्यु का समय अपराह्न 3:40 बजे है। इनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
  3. तीसरे मरीज के संबंध में डॉ. संजय ने बताया कि 64 वर्षीय परसराम वर्मा को 28 अप्रैल के दिन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इन्हें उच्च रक्त चाप की शिकायत थी साथ ही इनके फेफड़ो के दोनों हिस्सों में निमोनिया था। 12 दिन बाद 7 अप्रैल को इनकी मृत्यु के समय तक इनके स्वास्थ्य में लगातार उतार-चढ़ाव की स्थिति रही। इनकी मृत्यु 11:25 बजे हुई। वर्मा पूरे समय ऑक्सीजन एवं बाइ पेप वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। इनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद भी स्थिति गंभीर बनी हुई थी।
  4. इसी तरह भंवरलाल प्रजापत (78) भर्ती के समय हाइपरटेंशन, शुगर, फेफड़ों के दोनों हिस्सों में निमोनिया, असामान्य  हृदय गति (एट्रिअल फिब्रिलेशन) आदि बीमारियों से ग्रस्त थे। 30 अप्रैल को अस्पताल आने से पूर्व 4 दिन तक इन्होंने घर पर ही इलाज करवाया। भर्ती के समय इनका ऑक्सीजन लेवल सिर्फ 56 प्रतिशत था। ये भी ऑक्सीजन एवं बाइ पेप वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। इनकी मृत्यु शाम 4:45 बजे हुई।

 

 

इन चारों ही मरीजों के परिजनों पर इलाज खर्च के 50 हजार से लेकर 3 लाख 25 हजार रुपए बकाया हैं।यहाँ ये बताना उचित होगा कि शुरू के क़रीब 175 मरीज़ों का इलाज बिना मरीज़ों से शुल्क लिए रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से हमारे द्वारा किया गया।

 

डॉ. गोकुलदास ने बताया कि इन चारों मरीजों की मृत्यु का समय उस आरोप का भी पूरी तरह खंडन करता है, जिसमें आधे घंटे के भीतर चारों मरीजों की मौत का दावा किया गया है। उन्होंने कहा कि चूंकि कोरोना के चलते सभी मरीजों का इलाज प्रशासन द्वारा निर्धारित टीम के मार्गदर्शन में ही चल रहा है, ऐसे में अस्पताल प्रबंधन को दोषी ठहराना बिलकुल भी उचित नहीं है। जहां तक जांच का सवाल है तो अस्पताल प्रबंधन इसमें पूरा सहयोग कर रहा है।

 

 

संपर्क  –   डॉ संजय गोकुलदास (9826077557)

गोकुलदास अस्पताल के बारे में कुछ तथ्यात्मक जानकारी जो सभी के लिए लाभकारी होगी

  1. इंदौर शहर में सबसे पहला यलो कैटेगरी का अस्पताल।
  2. अभी तक कुल 348 मरीजों  का इलाज किया।
  3. 200 से ज्यादा मरीजों को स्वस्थ करके घर भेजा।
  4. लगभग 40 पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल में उचित इलाज के लिए भेजा गया ।
  5. शहर के मध्य में होने से एवं एम वाय MY अस्पताल के ठीक पीछे तथा एम आर टी बी हॉस्पिटल के ठीक  सामने होने के कारण हमारे हॉस्पिटल में सबसे अधिक पेशेंट भर्ती हुए।
  6. अस्पताल के चिकित्सकों ने, कंसलटेंट ने, नर्सिंग स्टाफ ने, वार्ड बॉय, स्वीपर ने, ऑफिस स्टाफ ने, अन्य सभी कर्मचारियों ने लगभग डेढ़ माह तक लगातार काम किया।
  7. कई मरीजों को 4-5 अस्पताल भटकने के बाद गोकुलदास अस्पताल में भर्ती किया।
  8. दिनांक 14 अप्रैल तक गोकुलदास अस्पताल में एक साथ 6 मृत्यु भी हुई है, लेकिन तब हंगामा नहीं हुआ, क्योंकि सब कुछ नि:शुल्क था।।
  9. दिनांक 14 अप्रैल के बाद शासन से अनुदान या अस्पताल के नुकसान भरपाई राशि के बारे में कुछ बात निश्चित नहीं होने से सभी अस्पतालों ने मरीजों से फीस लेना प्रारंभ कर दिया।
  10. तभी से हर दिन मरीज की छुट्टी के समय हल्ला गुल्ला होने लगा।
  11. शासन से मांग की गई की यलो केटेगरी अस्पतालों के बाहर  पुलिस की व्यवस्था कर दे लेकिन आज तक  कोई व्यवस्था नहीं हुई।
  12. 4 मरीजों के परिजन इलाज से संतुष्ट थे नहीं तो प्रत्येक के पास अवसर था बाहर जाने का सभी लोग 8 दिन से 12 दिन से 24 दिन से यहां भर्ती थे।
  13. सभी के परिजनों से लिखित में यह ले लिया गया था कि हमारे मरीज की स्थिति के बारे में हमें बता दिया गया है, इसके लिए हम जिम्मेदार हैं। यह कुछ सत्य तथ्य है 

 

(यह हॉस्पिटल द्वारा जारी  प्रेस विज्ञप्ति है )

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