सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री ने की चर्चा, पर अभी कोई फैसला नहीं लिया

न्यूज़ डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सोमवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने चर्चा की। इसमें मेघालय के सीएम ने सबसे पहले अपनी बात रखी। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अपनी पीड़ा बताई। पीएम ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की तारीफ की, जबकि सीएम ममता बनर्जी के बोलने का टर्न नहीं था। पीएम ने नीतीश कुमार, नवीन पटनायक का खुद ही नाम लिया। इसके अलावा कोविड-19 टेस्ट, राज्यों को आर्थिक सहायता, प्रोत्साहन पेकेज और प्रवासी मजदूर, छात्रों की बात भी उठी।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बात कहते हैं, दूसरों को सुनते और उनकी राय लेते हैं, नीतियां बनाना या जवाब देने का वक्त अपने हिसाब से तय करते हैं। राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चौथी बार की चर्चा में भी यही हुआ। 3 घंटे की चर्चा में प्रधानमंत्री बोले, पारी के हिसाब से 9 मुख्यमंत्री बोले, राज्यों ने अपनी मांग, चिंता रखी और प्रधानमंत्री ने सबको ध्यान से सुना।

 

प्रधानमंत्री ने आर्थिक चिंता न करने का आश्वासन दिया। कोविड-19 संक्रमण के दौरान लाइफ स्टाइल में आने वाले बदलाव पर बात की। उन्होंने कोविड-19 संक्रमण रोकने में सक्रियता के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयास की तारीफ की और नीतीश कुमार, नवीन पटनायक का नाम लिया, रेफरेंस दिया।

 

लॉकडाउन के दूसरे चरण का आखिरी दौर है, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन इसी तरह जारी रहेगा या कुछ बदलाव होगा, इसका सीधा कोई जवाब अभी इस बैठक से नहीं निकला, लेकिन इतना संकेत जरूर मिलता है कि तीन मई के बाद लॉकडाउन पूरी तरह नहीं खुलेगा, बल्कि कुछ इलाकों और क्षेत्रों में सीमित छूट के साथ कुछ राहत जरूर मिल सकती है।

 

मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह कहकर जो राज्य और क्षेत्र कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं या जहां स्थिति नियंत्रण में हैं, वहां संबंधित मुख्यमंत्री फैसला ले सकते हैं, यह संकेत जरूर दिए हैं कि तीन मई के बाद राज्यों को अपने हिसाब से लॉकडाउन में कुछ राहत देने की आजादी होगी। 

 

सोमवार को हुई इस बैठक में जहां ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन को लेकर अंतिम फैसला केंद्र सरकार के हाथों में छोड़ा गया। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों और बाहर फंसे अन्य लोगों को वापस उनके घरों तक पहुंचाने के लिए एक केंद्रीय नीति बनाने की बात कहकर कई राज्यों में फंसे लाखों बिहारी कामगरों के मुद्दे की गेंद को केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया।

 

मुख्यमंत्रियों में सबसे पहले मेघालय के मुख्यमंत्री बोले। इसमें गुजरात के विजय रूपाणी, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, पुड्डूचेरी के वी नारायाणसामी, हिमाचल के जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत, बिहार के नीतीश कुमार समेत अन्य ने अपनी राय रखी। दो मुख्यमंत्रियों को छोड़कर सभी ने धीरे धीरे चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाने का सुझाव दिया।

 

पीड़ा: नीतीश कुमार ने एक नीति बनाने की मांग की :

कई राज्य दूसरे राज्यों में फंसे अपने यहां के राज्यों, प्रवासी मजदूरों को लाने की पहल कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसमें नंबर एक पर हैं। पहले छात्रों को ले आए, अब मजदूरों को ले आने के प्रयास में जुटे हैं। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के सामने इस मुद्दे को उठाया। नीतीश कुमार ने कहा कि इसके लिए एक समग्र नीति बननी चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन है तो इसी का पालन हो, राज्यों-जिलों की आवाजाही बंद हो। बिहार में वह इसी का पालन कर रहे हैं। इसमें राज्यों की इस तरह की पहल पर उन्होंने सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री से पहल करने का आग्रह किया। नीतीश कुमार के अलावा अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी प्रवासी मजदूरों और छात्रों का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने सबको ध्यान से सुना और अभी इसका कोई उपाय नहीं बताया है।

 

राज्यों ने उठाई राहत पैकेज, जीएसटी भुगतान की बात :प्रधानमंत्री के साथ चर्चा में सभी राज्यों ने अपनी आर्थिक चिंता जाहिर की। राज्यों ने प्रधानमंत्री से एमएसएमई के लिए विशेष राहत पैकेज के लिए साथ राज्यों के लिए भी आर्थिक मदद मांगी। जीएसटी के बकाया का भुगतान करने का आग्रह किया। पुड्डूचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने इस मुद्दे को जोर देकर उठाया।

 

कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोविड-19 संक्रमण के व्यापक जांच की मांग की। टेस्ट किट और चिकित्सा संसाधन (पीपीई किट, वेंटिलेटर, एन-95 मास्क आदि) की भी मांग की। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य में टेस्ट तथा ताजा हालात के बारे में जानकारी दी।

 

हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए लॉकडाउन के फैसले को सही ठहराया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यमुनोत्री-गंगोत्री के कपाट खोले जाने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की और लॉकडाउन को सही समय पर लिया फैसला बताया।

 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों की खेती, मंडियों में अनाज के खरीद की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हरियाणा ने कैसे कोविड-19 संक्रमण पर काबू पाने के उपाय किए हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने सबको ध्यान से सुना। राज्यों को आश्वस्त किया कि वे आर्थिक चिंता न करें। देश की स्थिति ठीक है।

 

ममता बनर्जी कुछ नहीं बोलीं, कांग्रेसी मुख्यमंत्री भी रहे शांत :प्रधानमंत्री के साथ पिछली चर्चा में ममता बनर्जी ने अपनी बात रखी थी। इस बार उनके बोलने की पारी नहीं थी। पश्चिम बंगाल ने यहां अनुशासन का पालन किया और ममता बनर्जी शांत रहीं। इस दौरान किसी कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को दिए सुझाव से जुड़ा प्रमुख मुद्दा भी नहीं उठाया। किसी ने सेंट्रल विस्टा या बुलट ट्रेन परियोजना को बंद कर इसके लिए आवंटित राशि को कोविड-19 में खर्च करने की सलाह भी नहीं दिया।

 

प्रधानमंत्री ने की गहलोत की तारीफ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 से लड़ने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ की। गौरतलब है कि राजस्थान ने ही सबसे पहले आईसीएमआर द्वारा चीन से आयात करके दी गई रैपिड टेस्ट किट पर भी सवाल उठाया था। प्रधानमंत्री ने राज्यों से कहा कि कोविड-19 संक्रमण और इसके बाद लोगों के जीवन में बदलाव आया है। यह गौर करने वाली बात है।

 

उन्होंने राज्यों से अपील की कि वह लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने की ठोस रणनीति बनाएं। इस पर काम करें। प्रधानमंत्री ने राज्यों से अपील की वह कोविड-19 के रेड जोन बने क्षेत्र को ऑरेंज जोन में और ऑरेंज जोन के क्षेत्र को ग्रीन जोन में बदलने की रणनीति बनाएं। हमें मिलकर कोविड-19 को हराना है और इसमें सहयोग दें।

 

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