न्यूज़ डेस्क : दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस के कारण लोगों में एक तरह से डर का माहौल है। बीमारी से ज्यादा इसके बारे में फैल रही अफवाहें और झूठ, लोगों के डर के पीछे की बड़ी वजह है। ऐसे माहौल में इन दिनों लोग विशेषज्ञों और डॉक्टरों से कोरोना फैलने को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। लॉकडाउन के बीच लोग सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं और अपने घरों में रह रहे हैं। लेकिन जरूरी सामान और राशन लाने तो बाहर जाना ही पड़ता है। जरूरी वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाहर जाने वाले लोग ज्यादा आशंकित रहते हैं। कई लोग कपड़े, जूते से लेकर दाढ़ी-बाल के जरिए कोरोना फैलने से जुड़े सवालों के जवाब जानना चाहते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ऐसे कई जरूरी सवालों के जवाब वैज्ञानिकों ने दिए हैं।
क्या परचून, फल-सब्जी या दवा की दुकान से घर आने के बाद कपड़े धोना और नहाना चाहिए?
ज्यादातर लोग, जो सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं, उन्हें इसकी कोई जरूरत नहीं है। हां, घर आकर साबुन से हाथ जरूर धोएं। घर से बाहर किसी संक्रमित के होने की आशंका बनी रहती है। उसकी छींक या खांसी की बूंदें आप तक न पहुंचे, इसके लिए छह फुट की दूरी पर खड़े हों। हालांकि छोटी बूंदें हवा में कुछ देर तक रह सकती हैं, लेकिन एरोडायनेमिक्स के कारण इनके कपड़ों पर ठहरने की संभावना बहुत कम होती है।
वायरस समेटे छोटी बूंदें कपड़ों पर क्यों नहीं ठहरतीं?
छोटी बूंदें हमारे चारों ओर मौजूद हवा के प्रवाह के साथ बहती हैं और तेज गति से चलती किसी वस्तु से टकराती हैं। चूंकि इंसान बहुत धीमी गति से चलता है, इसलिए इनके हमारे टकराने की आशंका न बराबर है। सिर्फ भारी बूंदें ही तत्काल हमारे अंगों या कपड़ों पर गिर सकती हैं क्योंकि ये हवा के प्रवाह के साथ नहीं बह पातीं। अगर बाहर जाने पर ऐसा हो तो ही घर आकर नहाएं और कपड़े धोएं।
क्या दाढ़ी या सिर के बालों पर भी वायरस ठहर पाएगा?
अगर आप सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं, तो शरीर पर कहीं भी वायरस नहीं आ सकता। अगर किसी संक्रमित की छींक या खांसने की ढेरों बूंदें आपके बालों या दाढ़ी पर गिरती हैं, तो वहां वायरस की आशंका बनती है। इसके बाद, अगर आप बालों पर हाथ लगाकर उसे नाक, मुंह या आंख पर लगाते हैं तो ही संक्रमण की स्थिति पैदा होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह वायरस फैलने के बहुत ही कम आशंका होती है।
क्या धुलाई से मर जाता है वायरस?
साबुन या डिटर्जेंट से कपड़े धोते रहें। अगर किसी सूरत में कपड़े पर वायरस होगा, तो साबुन या सर्फ से धुलाई में मर जाएगा। इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है।
कपड़ों पर वायरस कितनी देर ठहर सकता है?
अध्ययन धातु पर तीन दिन और गत्ते पर एक दिन वायरस ठहरने की ओर इशारा करते हैं। कपड़ों पर विशेष अध्ययन नहीं हुआ है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि गत्ते की सोखने वाली प्रकृति के कारण उस पर वायरस कम देर ठहरता है, कपड़े पर भी यही संभावना है।
जूतों को भी डिसइंफेक्टेंट करना जरूरी है?
जूते वायरस का वाहक हो सकते हैं, लेकिन ये संक्रमण के आम स्रोत नहीं हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे जूते पहनकर जाएं जो घर आते ही साबुन से धुल सकें। साथ ही घर में जूते लाने पर रोक लगा सकें तो बेहतर होगा।
क्या सामान के डिलीवरी पैकेज, अखबार पर वायरस को लेकर चिंतित होना चाहिए?
किसी पैकेज पर संक्रमण की आशंका बेहद कम है। अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया, जो अखबार पढ़ने या पैकेज खोलने से संक्रमण की तस्दीक करता हो।
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