न्यूज़ डेस्क : भारत में लॉकडाउन को तीन मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। देश में कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था को चोट लगी है। विश्लेषकों और उद्योग मंडलों ने यह अनुमान जताया है कि 21 दिनों के लॉकडाउन से भारत की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था पर सात से आठ लाख करोड़ रुपये का असर पड़ सकता है।
लॉकडाउन में ज्यादातर कारखाने और व्यवसाय बंद रहे। भारतीय रेलवे से लेकर उड़ानें तक निलंबित हैं। साथ ही वाहनों और लोगों की आवाजाही को भी प्रतिबंधित किया गया है।
देश की आर्थिक गतिविधियां ठप
25 मार्च से 21 दिनों के लॉकडाउन से 70 फीसदी आर्थिक गतिविधियां, निवेश, निर्यात और जरूरी वस्तुओं को छोड़कर अन्य उत्पादों की खपत थम गई है। सिर्फ कृषि, खनन, उपयोगी सेवाएं, कुछ वित्तीय और आईटी सेवाएं और जन सेवाओं को ही काम करने की अनुमति मिली है।
इस संदर्भ में सेंट्रल इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने कहा है कि यह महामारी ऐसे समय आई, जब भारतीय अर्थव्यवस्था में साहसिक राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के बाद पुनरुद्धार के संकेत दिख रहे थे। संगठन ने कहा कि, ‘देशव्यापी बंद से अर्थव्यवस्था को सात से आठ लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।’
पहले एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च लिमिटेड ने अनुमान जताया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 21 दिनों के बंद के दौरान हर रोज करीब 4.64 अरब डॉलर यानी 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। इस तरह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 98 अरब डॉलर यानी करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
इनको हो सकता है एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के महासचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि हर रोज एक ट्रक का 2,200 रुपये के नुकसान के आधार पर ट्रक परिवहन सेवा व्यवसाय में पहले 15 दिन का नुकसान करीब 35,200 करोड़ रुपये पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि देश के करीब एक करोड़ ट्रकों में से 90 फीसदी से अधिक ट्रक सड़कों से नदारद हैं। केवल जरूरी जिंसों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा रहा है।
गुप्ता ने कहा था कि, ‘अगर लॉकाउन को हटाया जाता है तो भी ट्रकों को कामकाज के सामान्य स्तर पर आने में कम-से-कम दो से तीने महीने का समय लगेगा।’ एआईएमटीसी 93 लाख ट्रांसपोर्टर और ट्रक चालकों का प्रतिनिधित्व करता हैं, वहीं रीयल्टी कंपनियों के संगठन नेशनल रीयल एस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल (एनआरईडीसी) के अनुसार क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान जताया है। एनआरईडीसी के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी से कहा, ‘मेरे हिसाब से अखिल भारतीय स्तर पर एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।’
इस कारोबार को हुआ दो लाख करोड़ रुपये का घाटा
वहीं व्यापारियों के संगठन कैट का अनुमान है कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए देशव्यापी बंद से खुदरा कारोबार में 30 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है। देश के खुदरा क्षेत्र में सात करोड़ छोटे, मझोले और बड़े कारोबारी हैं। इस बीच, कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने 2020-21 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है।
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