फिलहाल कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई प्राथमिकता, मंत्रिमंडल विस्तार बाद मे : शिवराज सिंह चौहान

न्यूज़ डेस्क : मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के बीच भी राजनीति जारी है। एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा था। अब सीएम शिवराज ने सोमवार को उन्हें जवाब दिया है।  

 

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण महामारी के खिलाफ लड़ाई को जीतना ही हमारी प्राथमिकता है, मंत्रिमंडल का विस्तार कुछ वक्त बाद पार्टी से विचार-विमर्श करके होगा।

 

वीडियो के जरिए जारी बयान में चौहान ने कहा कि 23 मार्च से लगातार कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ युद्ध में हम लगे हुए हैं। सतर्कता के साथ पार्टी ने फैसला किया है कि फिलहाल इस लड़ाई को जीतना है। मंत्रिमंडल का विस्तार फिर थोड़े दिनों के बाद करेंगे। अब 14 तारीख को लॉकडाउन समाप्त नहीं होगा, एक चरण समाप्त होगा। आगे जैसी परिस्थितियां बनेंगी, पार्टी के साथ विचार विमर्श करके फैसला लेंगे। 

 

मालूम हो कि चौहान अकेले ही अधिकारियों के साथ कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहे हैं। उन्होंने अब तक अपने मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री नहीं बनाया है। यहां तक की प्रदेश में इस संकट की घड़ी में स्वास्थ्य मंत्री भी नहीं है। इस पर कांग्रेस उनकी तीखी आलोचना कर इसे असंवैधानिक बता रहा है और इस सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहा है।

 

चौहान ने कहा, इस संकट के समय ऐसी घटिया राजनीति होगी, इसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। कमलनाथ ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि 12 फरवरी को राहुल गांधी ने चेता दिया था। तब कौन मुख्यमंत्री थे कमलनाथ जी? 12 फरवरी से लेकर 23 मार्च तक आप क्या करते रहे? कल तो तारीख भी भूल गए कि कब उन्होंने (कमलनाथ) इस्तीफा दिया था। तब 16 तारीख कह रहे थे। 16 को नहीं, उन्होंने 20 को इस्तीफा दिया था।  

 

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के करीब 20 दिन बाद कमलनाथ ने रविवार को कहा था कि कुछ ही दिन में भाजपा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुई डील से पर्दा उठ जाएगा। ऐसी बातें ज्यादा देर तक छिपी नहीं रहती। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव बहुत आसान नहीं होंगे। 

 

इससे पहले उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभावित खतरे को लेकर पहले ही आगाह किया था। मगर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। 

 

 

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