न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस का असर सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था पर ही नहीं बल्कि लोगों की आस्था पर भी पड़ा है। वायरस के खतरे को देखते हुए देश के विभिन्न मंदिर प्रबंधनों ने श्रद्धालुओं के लिए द्वार बंद करने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि कुछ समय के लिए ऐसा करने से लोगों में संक्रमण फैलाने से बचा जा सकता है।
सोमवार को महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया। उधर, मध्य प्रदेश सरकार ने भी उज्जैन के महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दर्शन पर भी रोक लगा दी।
बता दें कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपील की थी कि मंदिरों में लोग कम जाएं ताकि भीड़ में कमी आए। वहीं ट्रस्ट की बैठक के बाद सिद्धि विनायक मंदिर को बंद करने का फैसला किया गया। 19 नवंबर 1801 में बनकर तैयार हुआ यह मंदिर बीते करीब 200 साल में पहली बार इस तरह से बंद हुआ है।
इन मंदिरों में लगी रोक
- महाराष्ट्र के मंदिरों को भी कोरोना वायरस के कारण श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद किया जा रहा है। इसके तहत मंगलवार 17 मार्च से मुंबई के श्रीमुंबादेवी मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रखने का फैसला लिया गया है।
- पुणे के श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई गणेश मंदिर को भी 17 मार्च से अगले आदेश तक के लिए बंद किया गया है। इससे पहले आने वाले भक्तों के लिए हाथों का सैनिटाइजेशन अनिवार्य कर दिया था। इसके अलावा श्रद्धालुओं को मास्क पहनकर आने के लिए भी कहा गया था।
- ओस्मानाबाद के तुलजा भवानी मंदिर में भी 31 मार्च तक भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
- पश्चिम बंगाल में बेलूर मठ में भी सभाओं पर रोक लगाई गई है। बात दें कि रामकृष्ण मठ का मुख्यालय कोलकाता के बेलूर मठ में है। यहां प्रसाद बांटने पर भी रोक लगाई गई है। अगले आदेश तक मुख्य मंदिर में ज्यादा भीड़ जमा होने पर भी रोक लगा दी गई है।
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