न्यूज़ डेस्क : सरकार ने बजट पेश होने से एक दिन पहले वित्त वर्ष 2018-19 के लिए विकास दर 6.8 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दी है। संशोधित अनुमानों में खनन, विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों की वृद्धि में गिरावट के कारण विकास दर घटाई गई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी संशोधित आंकड़ों के मुताबिक, वास्तविक जीडीपी या स्थिर कीमत (आधार वर्ष 2011-12) पर जीडीपी 2018-19 और 2017-18 में क्रमश: 139.81 लाख करोड़ और 131.75 लाख करोड़ रुपये रहा था। इसी तरह, 2018-19 में विकास दर 6.1 फीसदी और 2017-18 में 7 फीसदी रही थी। जनवरी, 2019 में जारी पहले संशोधन के अनुसार 2017-18 में वास्तविक जीडीपी 131.80 लाख करोड़ रुपये रही, जो 7.2 फीसदी की वृद्धि को प्रदर्शित करता है।
इन सेक्टर में दिखी कम ग्रोथ :
एनएसओ के मुताबिक, कृषि, वन एवं मत्स्य पालन, खनन एवं संबद्ध गतिविधियों, विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति, वित्तीय सेवाएं, लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर कम रहने से 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में वास्तविक सकल मूल्य वर्धन वृद्धि कम रही।
2018-19 में जनवरी-मार्च के बीच देश की विकास दर 5.8 फीसदी रही। हालांकि इससे पहले की तीन तिमाही में विकास दर का आंकड़ा 8.2 फीसदी, 7.1 फीसदी और 6.6 फीसदी रहा था। अगर चार तिमाही का औसत निकाला जाए तो फिर पूरे वित्त वर्ष में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी।
चीन से पिछड़े थे हम :
2018-19 की चौथी तिमाही में विश्व की सबसे तेज गति की अर्थव्यवस्था के मामले में पड़ोसी देश चीन भी आगे हो गया था। वही बेरोजगारी का आंकड़ा भी काफी बढ़ गया था। देश में बेरोजगारी 6.1 फीसदी आंकी गई थी।
इन वजह से लगा था ब्रेक
2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी में कमी होने के पीछे कई सारे कारण हैं। घरेलू बाजार में खपत में कमी, वैश्विक मांग में भी कमी और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध की आशंका के चलते पहली बार जीडीपी सात फीसदी से कम आई है।
उत्पादन भी हुआ था कम
देश में कई सेक्टर में उत्पादन में भी कमी देखने को मिली थी। हालांकि विश्व में छठे सबसे बड़े ऑटो निर्माता और स्मार्टफोन का उत्पादन बढ़ने के बावजूद जीडीपी में कमी होना बड़ी बात है।
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