न्यूज़ डेस्क : किसानों को सालाना छह हजार रुपये की निश्चित राशि देने के लिए शुरू की गई पीएम-किसान योजना के मद में आवंटन राशि पर राज्यों की बेरुखी की वजह से आगामी बजट में कैंची चल सकती है। माना जा रहा है कि इस बार केंद्र सरकार इस मद में 20 फीसदी कम राशि का आवंटन करेगी। बजट 2019-20 में जहां योजना को 75 हजार करोड़ रुपये मिले थे, वहीं 2020-21 के लिए 60 हजार करोड़ मिलने का ही अनुमान लगाया जा रहा है। इस साल पश्चिम बंगाल ने योजना को लागू ही नहीं किया, जबकि अन्य कई राज्यों ने किसानों को इसका व्यापक लाभ नहीं पहुंचाया।
कृषि मंत्रालय की ‘पीएम किसान’ वेबसाइट के अनुसार, योजना के तहत कुल चिन्हित 8.80 करोड़ लाभार्थियों में से 8.35 करोड़ छोटे किसानों को पहली किस्त के रूप में दो-दो हजार रुपये की राशि दी गयी। वहीं दूसरी किस्त में लाभार्थियों की संख्या घटकर 7.51 करोड़, तीसरी में 6.12 करोड़ और चौथी किस्त में केवल 3.01 करोड़ (29 जनवरी तक) रह गई है।
बंगलूरू स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डा. प्रमोद कुमार ने कहा, ‘‘छोटे किसानों की आय बढ़ाने के इरादे से यह योजना लाई गई लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लाभार्थियों की सूची लगातार घट रही है। यह बताता है बड़ी संख्या में किसान इस योजना से बाहर हो रहे हैं।’’
यूपी के 1.4 करोड़ किसानों को नहीं मिलेगी किस्त : लाभार्थियों की संख्या में कमी के कारणों पर उन्होंने कहा, ‘‘पोर्टल पर डाले गये आंकड़ों में विसंगतियां पाई गई हैं। इसके अलावा योजना के लाभ के लिये आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है। संभवत: इसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं।’’ इसके कारण उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़ तथा पूरे देश में 5.8 करोड़ किसानों को चौथी किस्त नहीं मिलने की आशंका है।
बिहार में चिन्हित 54.58 लाख किसानों में से जहां पहली किस्त 52.19 लाख किसानों को मिली थी, वह तीसरी किस्त में कम होकर 31.41 लाख रह गयी। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश में 2.01 करोड़ लाभार्थियों को चिन्हित किया गया था। वहां पहली किस्त 1.85 करोड़ किसानों को दी गयी जबकि तीसरी किस्त में यह संख्या कम होकर 1.49 करोड़ पर आ गयी।
पिछले साल शुरू की गई थी योजना : सरकार ने 2019-20 के अंतरिम बजट में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत की थी। एक दिसंबर 2018 से लागू इस योजना के तहत छोटे एवं सीमांत किसानों की सहायता के लिये 6,000 रुपये सालाना उनके खाते में डाले जाते हैं। यह राशि 2,000-2,000 रुपये के रूप में तीन किस्तों में दी जाती है। जहां 2018-19 के चार महीनों के लिये इस योजना तहत 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। वहीं 2019-20 के बजट में इसके लिये 75,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी। मंत्रालय अब तक करीब 44,000 करोड़ रुपये ही वितरित कर पाया है जो आवंटित राशि का करीब 58.6 फीसदी है।
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