न्यूज़ डेस्क : देश के सभी 20 भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया है कि उन्हें शिक्षण कर्मचारियों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए पद आरक्षित करने से छूट दी जाए।
आईआईएम वर्तमान समय में शिक्षण पदों मेंसरकार आरक्षण प्रदान नहीं करता है। मंत्रालय द्वारा आईआईएम को शिक्षक पदों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए कहा गया है।
अधिकारियों के अनुसार आईआईएम ने अनुरोध यह कहते हुए किया कि वे एक निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया अपनाते हैं और समाज के वंचित वर्गों के साथ ही सभी को समान अवसर मुहैया कराते हैं।
आईआईएम अभी तक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का 1975 का वह आदेश का अनुपालन कर रहे हैं जो वैज्ञानिक और तकनीकी पदों को आरक्षण नीति से छूट प्रदान करता है। आईआईएम, अहमदाबाद इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में एक कानूनी लड़ाई में उलझा हुआ है।
नवम्बर 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी संस्थानों को पत्र लिखकर केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा था।
बुधवार को सभी आईआईएम को एक अलग पत्र भेजा गया था जिसमें ‘सीधी भर्ती में पदों का आरक्षण’ सुनिश्चित करने को कहा गया।
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